शहर में विद्युत उपभोक्ता तो बढ़े पर सुधार कार्य के लिए कर्मचारी नहीं

By AV NEWS

एक लाइन मैन के भरोसे 2535 घर आवश्यकता तीन कर्मचारियों की…

शहर में 1.39 लाख उपभोक्ता पर महज 55 लाइन मैन पदस्थ…

कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा विभाग

उज्जैन। शहर में विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधा के भले ही करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है, लेकिन असल समस्या की तरफ बिजली कंपनी के जिम्मेदारों का ध्यान अब भी नहीं है। यहीं वजह है कि हल्की आंधी तूफान में शहर का बिजली सिस्टम चरमरा जाता है। लाइन टूट जाती है, लेकिन सुधार करने वाले कर्मचारियों की कमी दूर नहीं की जा रही है।

बता दें कि शहर में 1.39 लाख उपभोक्ता पर महज 55 लाइन मैन (आउटसोर्स सहित) पदस्थ है। यानी 2535 घर पर एक लाइन कर्मचारी है। जबकि नियमानुसार आठ सौ घर पर एक लाइन होना चाहिए। वहीं जोन स्तर पर अधिकारियों की बात करे तो हर जोन में एक एई, दो जेई, एक सहायक यंत्री, एक कनिष्क यंत्री होना अनिवार्य है। जिन पर विभागीय कार्य व्यवस्था का दायित्व होता है। इसके अलावा बिजली विभाग में लाइन सुधार का कार्य करने वालों का मुख्य कार्य होता है। इसमें लाइन पर्यवेक्षक, वरिष्ठ लाइन सहायक, लाइन सहायक, वरिष्ठ लाइन परिचालक और लाइन परिचालक के पद होते हैं। जो बिजली व्यवधान को दूर करने में अमह होते हैं। बिजली विभाग में एक दशक से उक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में अधिकांश कर्मी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह विभाग ठेका श्रमिकों से कार्य करवाया जा रहा है।

इसलिए बढ़ रही बिजली की शिकायतें…

ट्रांसफार्मर से खराबी, बिजली फाल्ट, मीटर लगाना, मीटर जलना, मीटर बदला, फ्यूज उडऩा, सब स्टेशन में सुधार आदि समस्याओं के लिए लाइन कर्मचारियों की आवश्यक्ता होती है। जिन की पर्याप्त आवश्यकता विद्युत कंपनी के पास वर्तमान में नहीं है। इसलिए उपभोक्ताओं की शिकायतें भी लगातार बढ़ रही है। कई बार घंटों परेशान होकर उपभोक्ता बिजली दफ्तर तक पहुंच जाते हैं और अधिकारियों पर सुधार कार्य के लिए दवाब तक बनाते है।

आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन कम जोखिम ज्यादा

बिजली कंपनी के नियम के अनुसार बिजली के पोल की चालू लाइन में काम करने के लिए नियमित और प्रशिक्षित कर्मी होना आवश्यक है। ठेका कर्मचारियों को न प्रशिक्षण मिला होता है न उनके पास निर्धारित योग्यता होती है। फिर भी रख रखाव के दौरान कई अधिकारी ठेका कर्मचारियों से ही लाइन पर काम करवाते हैं। इस दौरान कई बार दुर्घटना तक हो चुकी है। खास बात यह है कि ठेका कर्मचारियों को लेकर बिजली कंपनी की सीधी जिम्मेदारी तय नहीं है। इसलिए ठेकेदार से उन्हें वेतन भी बहुत कम मिलता है।

इनका कहना है

बिजली विभाग लगातार उपभोक्ताओं की सुविधा को लेकर काम कर रहा है। लाइन स्टाफ की थोड़ी कमी है, यह कंपनी स्तर का मामला है, जिसे दूर करने के लिए कंपनी स्तर पर कार्रवाई भी की जा रही है। समय-समय पर आउससोर्स कर्मचारियों की टीम बढ़ाकर उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण किया जाता है।
-बी एल चौहान मुख्य अभियंता, बिजली कंपनी उज्जैन

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