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समाज मौन है… इसे कमजोरी नहीं समझे

रैली के बाद छत्रीचौक पर सभा में आचार्यश्री ने कहा-

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समाज मौन है… इसे कमजोरी नहीं समझे

जैन समाज ने निकाली मौन रैली

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बड़ी संख्या में जैन समाजजनों के बाद अन्य वर्ग के नागरिकों ने भी हिस्सा लिया रैली में

उज्जैन। देश में कुल आबादी में जैन समाज का मात्र एक प्रतिशत है, मगर रेवेन्यू के रूप में सरकार को 70 प्रतिशत तक देता है। अभी तो जैन समाज मौन प्रदर्शन कर रहा है। इसे कमजोरी नहीं समझा जाए। यदि सरकार ने मांग पर ध्यान नहीं दिया तो समाज जो भी होगा कदम उठाएगा है।

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यह बात गुरुवार सुबह छत्री चौक पर हुई सभा के दौरान आचार्यश्री मुक्तिसागरजी मसा. ने कही। झारखंड स्थित जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में उज्जैन के सकल जैन समाज ने बुधवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध जताया था।

वहीं आज गुरुवार सुबह नयापुरा स्थित जैन धर्मशाला से मौन रैली आचार्यश्री मुक्तिसागरजी मसा, श्री अचलसागरजी मसा, साध्वी भगवंत सूर्यकांता श्रीजी मसा आदि के सानिध्य में निकाली गई। जिसका समापन छत्री चौक पर सभा के रूप में हुआ। मौन रैली में समस्त श्वेतांबर एवं दिगंबर जैन समाजजन, महिलाएं, बच्चे भी शामिल हुए।

मौन रैली में महिलाएं अपने हाथों में तख्तियां लेकर चल रही थी। रैली केडी गेट, अब्दालपुरा, निकास चौराहा, कंठाल, बड़ा सराफा होते हुए छत्री चौक पहुंची थी। धर्मसभा के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया।

श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन सूची से बाहर किया जाए….

जैन समाज द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि पारसनाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान पर्यटन/धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाए। मांंस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। वंदना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, सामान जांच हेतु दो चेक पोस्ट बनाए आदि मांग शामिल हैं।

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