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स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक बोले- ऐसा क्यों किया इंजीनियर से पूछने पर पता चलेगा

मेघदूत वन सरफेस पार्किंग की निर्माणाधीन दुकानें तोड़ीं

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारियों के बीच फिर से तालमेल की कमी सामने आई है। हरिफाटक मन्नत गार्ड की जमीन पर प्रारंभ किए गए स्मार्ट पार्किंग के समीप निर्माणाधीन दुकानों को रातोंरात तोड़कर मलबा हटा दिया गया है। दुकानों की योजना क्या थी? और इन्हें क्यों तोड़ा गया इस बारे में कुछ भी सामने नहीं आया है। लेकिन अफसरों में तालमेल की कमी उजागर हो गई है।

निगम के अधिकारी इस मामल में कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं। वहीं स्मार्ट सिटी सीईओ का कहना है इंजीनियर से पूछकर बताएंगे कि दुकानें क्यों तोड़ी गई है। बता दें कि स्मार्ट सिटी के सभी काम नगर निगम के अधीन ही होते हैं। इसके बावजूद यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं था कि दुकानों को रातोंरात क्यों तोड़ा गया।

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स्मार्ट सिटी द्वारा हरिफाटक ब्रिज के पास मेघदूत वन के नाम से निर्माणाधीन स्मार्ट पार्किंग में दुकानों का निर्माण किया जा रहा था। यह मेयर स्ट्रीट परियोजना थी जिसे रातोंरात तोड़कर मलबा भी हटा दिया गया है। स्मार्ट सिटी सीईओ का कहना है कि इसकी जानकारी नहीं है। इंजीनियर से पूछने पर पता चलेगा।

पुराने मन्नत गार्डन सहित अन्य शासकीय भूमि का कब्जा लेने के बाद स्मार्ट सिटी द्वारा इस जगह को मेघदूत वन नाम देकर 11 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट पार्किंग बनाया जा रहा है। इसी पार्किंग में लोगों के स्वल्पाहार आदि के लिये दुकानों का निर्माण किया जा रहा था।

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लगभग 12 से अधिक दुकानों की दीवारें बनने के बाद इसकी छत डालने का काम बाकि था, लेकिन दो दिनों पूर्व इंजीनियर द्वारा उक्त दुकानों की दीवारों को तोड़कर मलबा भी हटा दिया। इस संबंध में स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि निर्माणाधीन दुकानें तोड़ दी गई हैं इसकी मुझे जानकारी नहीं है, इंजीनियर से पूछने पर ही दुकानें तोडऩे का कारण पता चलेगा।

समन्वय की कमी से पहले भी हुआ बवाल

बता दें कि हरिफाटक ब्रिज के पास मन्नत गार्डन के कब्जे को हटाने के बाद खाली जमीन पर योजना क्रियान्वयन को लेकर नगर निगम और स्मार्ट सिटी एक वर्ष पहले आमने-सामने हो चुके है। सरकारी जमीन पर अफसरों की तालमेल में खामी का बड़ा मामला सामने आया था। निगम ने यहां प्रवचन हॉल के निर्माण की योजना तैयार कर रखी थी। इसका भूमिपूजन भी कर दिया गया था।

स्मार्ट सिटी ने उक्त जमीन पर स्मार्ट पार्किंग का प्रोजेक्ट बना लिया था। दोनों एजेंसियों ने टेंडर जारी कर दिए थे। डिजाइन फाइनल होने पर वर्क ऑर्डर के बाद स्मार्ट सिटी की एजेंसी ने पार्किंग बनाने का काम शुरू ही किया तो दूसरी एजेंसी यहां प्रवचन हॉल बनाने पहुंची तो गडबड़ी का खुलासा था। दोनों ही टेंडर तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता के समय निकले थे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम निगम आयुक्त के अधीन होता है,फिर एक ही जमीन पर दो प्रोजेक्ट की गड़बड़ी हो गई। अफसर असमंजस में थे कि यहां क्या बनाया जाए। उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद यहां पार्किंग बनाने का निर्णय हुआ था।

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