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11.71 लाख रुपए की वसूली के लिए 10 करोड़ की जमीन नीलाम!
Sunday, October 1, 2023
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11.71 लाख रुपए की वसूली के लिए 10 करोड़ की जमीन नीलाम!

गड़बड़ी : कलेक्टर ने की जांच, तो बैंक दलाल-भूमाफिया-राजस्व विभाग के गठजोड़ का खुलासा

11.71 लाख रुपए की वसूली के लिए 10 करोड़ की जमीन नीलाम!

शैलेष व्यास. उज्जैन:बैंक वसूली के लिए दलाली करने वाले ने भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रु.की जमीन कौडियों के दाम पर नीलामी में दिला दी। इसमें 11 लाख 71 हजार 685 रु. की बैंक वसूली के लिए लगभग 10 करोड़ की 26 बीघा जमीन नीलाम कर दी। शिकायत मिलने पर उज्जैन कलेक्टर ने स्वमेव निगरानी में जांच की तो अनियमितता और गड़बडिय़ों का खुलासा हुआ।

घट्टिया निवासी अर्जुन पिता नागु सिंह ने कलेक्टर से की गई शिकायत में बताया कि उसके पिता के नाम से कर्नाटका बैंक लिमिटेड से किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत 9.90 लाख की राशि बैंक नियमों के तहत 9 सितंबर 2015 को स्वीकृत की गई थी आवेदक द्वारा उक्त राशि समय सीमा पर जमा नहीं कराने के कारण उनके खिलाफ 11 लाख 71 हजार 685 रुपए की वसूली के लिए आरआरसी जारी की गई।

शिकायत में कहा गया कि तहसीलदार उज्जैन मधु नायक, कर्नाटका बैंक शाखा प्रबंधक, बैंक दलाल राजेश रामानी और भू माफिया पुनीत जैन ने मिलीभगत कर बैंक वसूली की आड़ में धोखाधड़ी की। भूमि की नीलाम कर अधिक राशि वसूल की।

नियमानुसार जारी नहीं कुर्की वारंट

कुर्की वारंट पत्र नियम अनुसार कुर्क अमीन के माध्यम से जारी होना चाहिए। कुर्क अमीन के द्वारा मौके पर जाकर कुर्की वारंट में उल्लेखित जमीन को ग्राम पटवारी एवं पंचों के समक्ष कुर्क किया जाता है। कुर्क अमीन का प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत होने पर तहसील/नायब तहसीलदार या राजस्व अधिकारी के द्वारा कोर्ट संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई के उपरांत नीलामी की जाती है।

इसमें तहसीलदार ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया। तहसीलदार ने भू राजस्व संहिता की धारा में उल्लेखित प्रावधान,नियम/ प्रारूप को दरकिनार करते हुए मनमाफिक रूप से किसी को लाभ पहुंचाने के लिए प्रक्रिया संपादित की गई।

प्रकरण ही दर्ज नहीं किया…

शिकायत मिलने पर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने स्वमेव निगरानी में जांच की। कलेक्टर ने शिकायत में उल्लेखित तथ्यों का सत्यापन करने के लिए दस्तावेजों का अवलोकन किया। इसमें कई गंभीर गड़बड़ी और अनियमितताएं सामने आई है। इस आधार पर कलेक्टर ने तत्कालीन तहसीलदार मधु नायक के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश साथ ही बैंक को वसूल की गई अधिक राशि आवेदक को लौटाने के निर्देश भी दिए हैं।

सबसे बड़ा सवाल.. नीलामी की कार्यवाही क्यों और किन परिस्थितियों में

शिकायत में उल्लेखित तथ्यों का सत्यापन किये जाने पर कई प्रकार की त्रुटियां/अनियमितता संज्ञान में आई हैं। सूत्रों के अनुसार तहसीलदार के खिलाफ विभागीय जांच के संबंध में एसडीएम उज्जैन से मांगे गए अभी बाद में सबसे बड़ा सवाल यह उठाया गया है कि वसूल की जाने वाली राशि के लिए तहसीलदार ने लगभग 26 बीघा भूमि की नीलामी क्यों और किन परिस्थितियों में संपन्न की गई बेन वसूली की राशि दो तीन बीघा भूमि विक्रय और नीलामी से प्राप्त हो सकती थी तहसीलदार ने भूमि मिलाने प्राप्त 25 और 75 प्रतिशत धनराशि का वसूली राशि जमा होने के उपरांत किस तरह से निपटान किया इस तथ्य की भी जांच करें।

पुनित जैन, राजेश रामानी की जिम्मेदारी तय नही

घट्टिया निवासी अर्जुन पिता नागु सिंह ने कलेक्टर से की शिकायत में तहसीलदार उज्जैन मधु नायक के साथ सांसद के समर्थक पुनीत जैन और बैंक के दलाल राजेश रामानी पर नामजद धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने स्वमेव निगरानी जांच में प्रकरणों के दस्तावेजों की पड़ताल और सत्यापन में प्रारंभिक तौर पर तहसीलदार उज्जैन मधु नायक की लापरवाही को माना,लेकिन आवेदक ने जिन अन्य व्यक्ति पुनीत जैन और बैंक के दलाल राजेश रामानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया उनके खिलाफ न कोई कार्रवाई की अनुशंसा की और ना ही जिम्मेदारी तय की।

सूत्रों का कहना है कि प्रकरण तैयार करने में राजेश रामानी की प्रमुख भूमिका रही। वहीं पुनीत जैन ने नीलामी में भूमि को खरीदा था। यह अलग बात है कि बकायादार द्वारा राशि जमा करने पर भूमि पुनीत जैन को नहीं मिली,लेकिन बकायादार की जमा राशि का कुछ प्रतिशत इसें मिला है। बकाया राशि जमा नहीं होने की स्थिति में जमीन बोलीदार के नाम हो जाती है।

यह हैं गड़बड़…

तहसीलदार द्वारा प्रकरण दर्ज नहीं कर फर्जी तरीके से प्रकरण प्रारंभ कर कार्रवाई की गई।

बैंक द्वारा आरआरसी पत्र में बंधक जमीन के खसरे का नंबर ही नहीं लिखा और ना ही पंजीकृत बंधन पत्र की प्रति संलग्न की।

भू- राजस्व संहिता की धारा 146,147 के प्रावधान नियमों के अनुसार चल अचल संपत्ति कुर्की वारंट जारी होने के बाद प्रतिवेदन के आधार पर ही उसके तामिली प्रतिवेदन के आधार पर अचल संपत्ति कुर्की का वारंट जारी किए जाने की प्रक्रिया है। इसका पालन नहीं किया गया।

प्रकरण में भूमि की चालू साल के विक्रय मूल्य की गाइडलाइन के प्रति चालक ने नहीं की गई जबकि तहसीलदार ने प्रकरण प्रोसीडिंग में गाइडलाइन के अनुसार मूल्यांकन रिपोर्ट चतुर्सीमा प्रकरण में प्रस्तुत का उल्लेख किया है।

बकायादार पर आर आर सी प्रकरण के अनुसार 11 लाख 71 हजार 685 के अलावा ब्याज राशि,आदेशिका फीस, कार्यवाही खर्चा बकायदार द्वारा देय हैं। इसके बाद भी संपूर्ण भूमि नीलामी का औचित्य क्या रहा ? क्योंकि एक या दो बीघा भूमि की नीलामी से राशि जमा हो सकती थी।

बंधक भूमि सर्वे क्रमांक 602 रकबा 2.75 हेक्टेयर,सर्वे नंबर 819 रकबा 0.300, सर्वे नंबर 831 रकबा 2.500 कुल रकबा 5.550 हेक्टेयर है। प्रकरण में तहसीलदार ने धन वसूली राशि तथा गाइडलाइन अनुसार भूमि के विक्रय मूल्य का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया। भूमि की नीलामी किसी को लाभ पहुंचाते हुए की है।

तहसीलदार ने बकायादार (ऋणी) के द्वारा प्रस्तुत अंतिम आवेदन का निराकरण विधि सम्मत तरीके से नहीं किया और भूमि नीलाम कर दी।

तहसीलदार ने भू राजस्व संहिता पर ध्यान नहीं देते हुए भूमि खाते की नीलामी की कार्यवाही की गई, जो नियमानुसार नहीं हैं।

एसडीएम से मांगा प्रतिवेदन

कलेक्टर साहब ने तहसीलदार के विरूद्ध विभागीय जांच प्रस्तावित करने के संबंध में आरोप-पत्र, आधार-पत्र आदि तैयार करने के लिये अभिमत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में मामले को लेक कुछ भी बताना संभव और उचित नहीं हैं। आगे की कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों के निर्णय अनुसार की होगी-राकेश शर्मा,एसडीएम उज्जैन ग्रामीण।

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