3 करोड़ रुपए की लागत, 6 साल में उजड़ गया उद्यान

अटल अनुभूति उद्यान केंद्रीय मानव संसाधन विभाग एवं विकास प्राधिकरण ने बनाया था
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:वर्ष 2017 में केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास विभाग और उज्जैन विकास प्राधिकरण की संयुक्त मद से कोठी के ठीक सामने अटल अनुभूति उद्यान का निर्माण 3 करोड़ रुपए की लागत से किया गया। प्रारंभ में इसे दिव्यांगजनों के लिये आरक्षित रखा गया था लेकिन बाद में आमजन के लिये भी खोल दिया गया। उक्त उद्यान नगर निगम के हैंडओवर होने के दो साल बाद ही अटाले में तब्दील हो चुका है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में हर आयु वर्ग के महिला-पुरुष सुबह शाम आते हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं को देखकर अपने नाम की पहचान खोते जा रहे उद्यान की दुर्दशा देखकर लौट जाते हैं।

60 में से सिर्फ 15 विद्युत पोल की लाइट चालू….
रात के समय अटल अनुभूति उद्यान का 75 प्रतिशत हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता है। यहां 60 से अधिक आकर्षक लेम्प की विद्युत सज्जा की गई है जिनमें से मात्र 15 लेम्प ही वर्तमान में रोशनी दे रहे हैं बाकि लेम्प बंद हैं। अंधेरे में डूबे 75 प्रतिशत हिस्से में ध्यान का पाइंट, बच्चों के लिये मंकी किंग जोन है। रात के समय लोग अपने बच्चों के साथ यहां पहुंचते हैं तो उन्हें इस झोन में मोबाइल की टार्च जलाना पड़ती है।
ऐसा है पार्क का अब तक का सफर, गार्ड है लेकिन माली की नियुक्ति नहीं
3 करोड़ की लागत से केन्द्रीय मंत्रालय और उज्जैन विकास प्राधिकरण की संयुक्त मद से निर्मित उक्त उद्यान का उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, कलेक्टर संकेत भोंडवे की उपस्थिति में हुआ था। इसका संधारण, संचालन उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा वर्षों तक किया गया। इस दौरान कोरोना के समय दो वर्ष तक उद्यान बंद रहा और विकास प्राधिकरण ने करीब दो वर्ष पहले उद्यान को नगर निगम के हैंडओवर कर दिया। नगर निगम के हाथ में आते उद्यान के बदहाल होने की कहानी शुरू हुई जो इस प्रकार है।
नगर निगम ने यहां 8-8 घंटे की शिफ्ट में तीन गार्ड नियुक्त किये हैं जो उद्यान का गेट खोलकर वहीं कुर्सी डालकर बैठते हैं। उद्यान के अंदर क्या हो रहा है इससे गार्ड को कोई सरोकार नहीं होता।
सफाई के लिये नगर निगम के 2-3 सुबह कर्मचारी आते हैं। नियमित आकर सफाई नहीं करते। उद्यान की जरूरत के हिसाब से यहां सुबह शाम सफाई आवश्यक है। पूर्व में यहां खाने-पीने की वस्तु लाना प्रतिबंधित था लेकिन लोग अब यहां पैकेज्ड फूड लेकर आते हैं।
उद्यान में लगे पौधे और घास की देखभाल के लिये माली पदस्थ नहीं है। पौधे बड़े हो जाते हैं, उनकी डालियां यहां वहां फैलने लगती हैं, घास सूखने लगती है तो 15-20 दिनों में नगर निगम से 4-5 माली एक साथ आते हैं और कुछ घंटे काम करके चले जाते हैं। किसी भी माली द्वारा उद्यान में लगे पौधों की नियमित देखभाल नहीं की जाती।
उद्यान में यह थे आकर्षण का केंद्र
अटल अनुभूति उद्यान में अलग-अलग स्थानों पर 8 आकर्षक पाइंट निर्मित किए गए थे जिनमें अरोमा पार्क, सेन्सरी पिट, प्रसाधन कक्ष, चिटचेट हॉल, ओपन जिम, नक्षत्र वाटिका, फव्वारा, योग स्थल इनके अलावा पैदल टहलने के लिए रेम्प, बच्चों के लिये झूले, रात के समय आकर्षक विद्युत सज्जा भी की गई थी। उक्त आकर्षक पाइंट की आज क्या स्थिति है इसका जायजा लिया अक्षर विश्व की टीम ने तो नजारा उलटा ही दिखा जो इस प्रकार है:-
अरोमा पार्क
इस पार्क के पास ही दिव्यांगजन के लिए ओपन जिम के उपकरण भी लगे हैं। इस पार्क को खासतौर से दिव्यांगजन के लिये निर्मित किया गया था। वर्तमान में यहां सभी लोग आवागमन करते हैं। जिम के उपकरण टूटने के बाद वेल्डिंग कर पुन: जोड़े गए हैं। यहां लगी रेलिंग टूटी पड़ी है।
प्रसाधन कक्ष
महिला एवं पुरुष के लिये अलग-अलग प्रसाधन कक्ष निर्मित हैं। टंकी में कभी पानी रहता है तो कभी पानी नहीं रहता जिस कारण प्रसाधन का उपयोग करने वाले लोग परेशान होते हैं। रात के समय यहां विद्युत व्यवस्था भी नहीं है। बताया जाता है कि लोग यहां से बल्ब निकालकर ले जाते हैं इस कारण दूसरे बल्ब नहीं लगाये जाते।
चिटचेट हॉल
इस हॉल पर परमानेंट ताला लगा दिया गया है। हाल का निर्माण एकांत में बैठकर पुस्तकें पढऩे और अध्ययन के लिये किया गया था। यहां रात के समय विद्युत व्यवस्था नहीं है, जबकि इसे दिन में भी ताले लगाकर बंद रखा जाता है।
नक्षत्र वाटिका
नक्षत्र वाटिका का निर्माण 27 नक्षत्र, 12 राशियों और 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करने वाले पौधों को रोपित कर किया गया था। वर्तमान में रात के समय यह वाटिका अंधेरे में डूबी रहती है, दिन में नियमित सफाई नहीं होने के कारण लोग इस वाटिका में नहीं जाते।
फव्वारा, योग स्थल
फव्वारंे सभी बंद पड़े हैं। इनकी होदी में गंदा पानी भरा है जिनमें मच्छर पनप रहे हैं। योग स्थल पर सफाई नहीं होने से लोग इसका कम ही उपयोग करते हैं।









