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40 करोड़ की सड़क बदहाल, नए प्रोजेक्ट पर मंथन

40 करोड़ की सड़क बदहाल, नए प्रोजेक्ट पर मंथन

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नगर निगम का विकास- आगे पाट, पीछे सपाट, स्मार्ट रोड: पहले की सुध नहीं, नई की तैयारी

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम जो करें, वह कम है। पूर्व के पूर्ण हो चुके प्रोजेक्ट के संधारण-संचालन पर ध्यान नहीं है और नए के लिए मंथन किया जा रहा है। 40 करोड़ से अधिक खर्च कर निर्मित स्मार्ट रोड बदहाल हो गई है। अब २५ करोड़ लागत से नई स्मार्ट रोड़ बनाने पर मंथन कर और मार्ग की तलाश की जा रही है।

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उज्जैन शहर अमृत शहरों में शामिल है, केंद्र सरकार उज्जैन शहर को स्पेशल असिस्टेंस के तहत 25 करोड़ की राशि प्राप्त कर शहर की किसी एक सड़क को आदर्श एवं स्मार्ट सड़क बनाया जाएगा। किसी एक सड़क को आदर्श सड़क बनाने के लिए विचार करने के साथ मार्ग पड़ताल की जा रही है।

ताकि केंद्र शासन से मिलने वाली 25 करोड़ की राशि से शहर को एक स्मार्ट रोड़ की सौगात दी जा सके। इसके लिए दावा किया जा रहा है कि किसी एक सड़क का कायाकल्प किया जाकर आदर्श एवं स्मार्ट रोड बनाया जाएगा। इसमें स्टॉर्म वाटर ड्रेन, स्ट्रीट लाइट, डिवाइडर, फुटपाथ, यूटिलिटी डक्ट, आर.ओ.व्ही., साइनेज इत्यादि के कार्य होंगे।

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उत्तर के दो और दक्षिण का एक मार्ग

सूत्रों के अनुसार आदर्श एवं स्मार्ट रोड बनाने में विधानसभा क्षेत्र को महत्व दिया जा रहा है। नगर निगम कर्णधारों की मंशा है कि सड़क उज्जैन उत्तर विधानसभा की हो। शायद यही वजह है कि प्रोजेक्ट के लिए प्रारंभिक तौर पर उत्तर विधानसभा में आने वाले दो मार्ग पिपलीनाका से गढ़कालिका तथा भैरवगढ़ चौराहे से उन्हेल चौराहे पर वही दक्षिण विधानसभा के एक मार्ग नागझिरी चौराहे से अभिलाषा कॉलोनी तक के लिए विचार के बाद निरीक्षण हुआ है।

स्मार्ट रोड पर भी अतिक्रमण पसरने लगा

स्मार्ट रोड पर भी अतिक्रमण धीरे-धीरे पसरने लगा है। रोड के फुटपाथ और सड़क पर दिन और शाम के वक्त हाथ ठेले से व्यवसाय करने वालों को यहां देखा जा सकता है। कुछ कपितय लोगों ने यहां गुमटियां लगाने की तैयारी भी की है।

पूर्व के काम खुद बयां कर रहे अपनी व्यथा

उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा शहर में 40 करोड़ रुपये खर्च कर 3702 मीटर लंबा स्मार्ट रोड बनाया गया है।

दावा: उज्जैन शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने और एकरूप बनाने के लिए उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर के 25 मार्गों को स्मार्ट रोड में तब्दील करने की योजना बनाई थी। दावा किया था कि यह ऐसे रोड होंगे, जिसके नीचे भूमिगत सीवरेज, टेलीफोन, बिजली, गैस और पानी की पाइपलाइन बिछाई जाएगी।

रोड पर वाहन पार्किंग सहित पैदल यात्रा और साइकिल चलाने के लिए अतिरिक्त जगह होगी। रोड के दोनों किनारे खूबसूरत पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। योजना को धरातल पर उतारने को उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने काम टाटा कंपनी को सौंपा था। इसके लिए प्रथम चरण में जीरो पाइंट ओवर ब्रिज के पास की सड़क का चयन किया गया था। रोड कभी पूर्ण हो चुका,लेकिन अब बदहाल है।

हकीकत: सड़क की सतह ऊंची-नीची है,थोड़ी से बरसात में जल-जमाव हो जाता है। सफाई का कोई अता-पता नहीं है। भूमिगत लाइन कहां है इसके कोई संकेतक नहीं है। साइकिल से चलने को जो ट्रैक बनाया है वह भी सुरक्षा के मापदंड अनुरूप नहीं है। इतना ही नहीं ट्रैक के लिए लगी चेन और पोल निकल चुके है। स्ट्रीट लाइट्स भी कभी बंद,तो कभी चालू रहती है। किनारे पर लगाए आधे पेड़ सूख चुके हैं और आधे गायब हो चुके हैं। स्मार्ट रोड पर सुंदरता का कोई नामोनिशान नहीं है। वॉकिंग ट्रेक के ब्लाक उखड़ चुके है। वाहन पार्किंग के लिए धूप और बरसात से बचने के लिए भी कोई यथोचित स्थान नहीं है। कुल मिलाकर स्मार्ट रोड सिर्फ नाम का है। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं जिसे मॉडल रोड के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।

सवारी मार्ग की ऐसी हकीकत

नगर निगम ने कुछ समय पहले कार्तिक चौक से जगदीश मंदिर होते हुए ढाबा रोड तक का 350 मीटर लंबा मार्ग को आदर्श मार्ग बनाने के लिए भवनों को तोड़कर सड़क का चौड़करण किया था। इसके बाद रोड 30 फीट चौड़ा हा गया था। रोड़ पर पेवर ब्लाक लगाने के साथ पूरे मार्ग में कहीं भी खुला तार, पाइप लाइन या नाली नहीं दिखेगी। विदेशों की तर्ज पर रोड पर सब कुछ अंडर ग्राउंड रखने का दावा किया था। निगम ने इसे आदर्श रोड घोषित किया था। अब सतही तौर पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता,जिसके आधार पर इस रोड को आदर्श कहा जा सकें।

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