उज्जैन। एक ही जमीन को दो लोगों को बेचने वाले आरोपियों को सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशिकांत वर्मा ने धोखाधड़ी का आरोप सिद्ध होने पर 7-7 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। आरोपियों ने जमीन के कूटरचित दस्तावेज बताकर फरियादी से 20 लाख 50 हजार रूपए की राशि हड़प ली थी। जमीन की रजिस्ट्री कराने गए तब धोखाधड़ी सामने आने पर फरियादी ने माधव नगर थाने पर शिकायत की थी।
उपसंचालक अभियोजन डॉ साकेत व्यास ने बताया शहीद पार्क स्थित सिद्धिविनायक ट्रेड सेंटर की प्रथम मंजिल पर जितेंद्र मंडोरा का कार्यालय है। आरोपी विकास जैन और उसके साथी वीरेंद्र सिंह भारद्वाज ने कुछ साल पहले उसके कार्यालय में आकर ग्राम खरदौनकलां स्थित भूमि की मूल रजिस्ट्री दिखाकर उसे विक्रय के लिए सौदा किया। 20 लाख 50 हजार रुपए में जमीन का विक्रय तय हुआ। जितेंद्र ने यह राशि चेक के माध्यम से विकास को अदा कर दी।
जब जितेंद्र जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए पंजीयन कार्यालय पहुंचा तो उसे पता चला कि उक्त भूमि पूर्व में 12 फरवरी 2018 को भी बेची जा चुकी है। इस जमीन की प्रमाणित प्रति लेने पर यह भी जानकारी मिली कि उसने कूटरचित रजिस्ट्री उसे दी है।
इस पर जितेंद्र ने माधव नगर थाने पर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में पेश किया था। मामले में पैरवी विशेष लोक अभियोजक संजय राव शिंदे द्वारा की गई। न्यायालय ने अभियोजन के तर्क ों से सहमत होकर आरोपी विकास जैन को 7 साल की सजा एवं 600 रुपए जुर्माना लगाया। जबकि वीरेंद्र ङ्क्षसह भारद्वाज को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया है।