मध्यप्रदेश:उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा को हफ्ते भर के अंदर दूसरा बड़ा झटका लगा है। अब सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वह भाजपा के टिकट पर सुरखी से 2013 में चुनाव लड़ीं थी और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को हराया था। 2018 में वह गोविंद सिंह राजपूत से मामूली अंतर से हार गई थीं।माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें सुरखी से एक बार फिर गोविंद सिंह राजपूत के सामने खड़ा कर सकती है। इससे पहले हाल ही में ग्वालियर से भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक सतीश सिकरवार भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
भोपाल में पार्टी कार्यालय पर पारुल साहू को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा और शिवराज पर निशाने साधे। उन्होंने कहा कि शिवराज अपनी जेब में नारियल लेकर चलते हैं। वह जहां भी जाते हैं, नारियल फोड़ देते हैं और घोषणा कर देते हैं। उन्हें आज खुशी है कि पारुल साहू ने प्रदेश की वर्तमान तस्वीर देखकर और सच्चाई को पहचानते हुए कांग्रेस का साथ दिया है। इनका परिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा है और आज इनकी घर वापसी हुई है।
सुरखी विधानसभा सीट में उपचुनाव होना है। बीजेपी की तरफ से गोविंद सिंह राजपूत को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। ऐसे में पारुल साहू उनके खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। कांग्रेस में शामिल होने के बाद यद तय माना जा रहा है कि वह सुरखी से चुनाव लड़ेंगी।2013 के विधानसभा चुनाव में पारुल साहू बीजेपी की उम्मीदवार थीं और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस के टिकट से मैदान पर थे।
इस चुनाव में पारुल साहू ने गोविंद सिंह राजपूत को चुनाव में हराया था। हालांकि हार का अंतर बहुत कम था। 2013 में पारुल साहू को 59,513 वोट मिले थे जबकि गोविंद सिंह राजपूत को 59,372 वोट मिले थे। लेकिन अब होने वाले उपचुनाव में गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी में हैं और माना जा रहा है कि सुरखी विधानसभा सीट से वहीं उम्मीदवार हो सकते हैं।कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद पारुल साहू ने कहा कि वह आज सुरखी विधानसभा क्षेत्र की जनता की आवाज बनकर अहंकार और डर के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। आज उनकी घर वापसी हुई है। वह अपने परिवार में वापस आई हैं।