यह कैसी पुलिसिंग…
उज्जैन। यदि किसी अनजान की कहीं भी मृत्यु हो जाए तो लोग सबसे पहले मानवता के नाते शव को अस्पताल भिजवाते हैं, लेकिन पुलिस की मानवता की परिभाषा दूसरी है। सिर्फ पंचनामा बनाने के नाम पर पुलिस ने शव को प्लेटफार्म पर 1 घंटा 15 मिनट रखा। इस दौरान शव के आसपास श्वान मंडराने लगे थे।
8 बजकर 13 मिनट पर प्लेटफार्म 1 पर आई थी ट्रेन:
ललितकुमार 40 वर्ष निवासी कानपुर ठेकेदार के पास ट्रेनों में सफाई का काम करता था। मुंबई से इंदौर जाने वाली अवंतिका एक्सप्रेस के स्लिपर कोच में सफाई कर रहा था। उसने नागदा में चाय नाश्ता किया और गेट पर खड़ा हो गया।
टीसी ने उससे अंदर जाने को कहा तो ललित बोला गर्मी लग रही है फिर वह अटेंडर की सीट पर लेट गया। सुबह उज्जैन स्टेशन पर सुपरवाइजर शैलेष मिश्रा ने उसे जगाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं उठा तो रेलवे डॉक्टर को बुलाया जिसने ललित को मृत घोषित कर दिया। उसका शव ट्रेन से उतारकर आरपीएफ बैरक के सामने प्लेटफार्म 1 पर रखकर तुरंत जीआरपी को सूचना दी गई।
थाने से एक पुलिसकर्मी यहां पहुंचा, आरपीएफ के एसआई व अन्य स्टाफ भी आया। शव 1 घंटा 15 मिनिट से अधिक समय तक प्लेटफार्म पर रखा रहा और पुलिसकर्मी पंचनामा बनाने में व्यस्त रहे। इस दौरान प्लेटफार्म के आवारा श्वान शव के आसपास मंडराने लगे।
जीआरपी, आरपीएफ पहुंची
ललित कुमार को डॉक्टर द्वारा मृत घोषित करने के बाद आरपीएफ और जीआरपी के पुलिसकर्मी यहां पहुंचे, सुपरवाइजर के बयान लिये, मृतक के परिजनों को सूचना के प्रयास भी किये लेकिन किसी ने शव को तुरंत अस्पताल भेजने के बारे में नहीं सोचा। जीआरपी के पुलिसकर्मियों ने बताया कि हेडकांस्टेबल को बताया है वह शव लेकर अस्पताल जायेगा।