डीजीपी के निर्देश के बाद भी न नीलामी हुई और न परिसर हो पाये खाली
उज्जैन। प्रदेश के डीजीपी पिछले दिनों उज्जैन दौरे पर आये थे। उन्होंने थानों का निरीक्षण करने के बाद जब्त वाहनों का निराकरण कर परिसर खाली कराने के निर्देश दिये लेकिन आज तक थानों में खड़े यह वाहन जमीन में धंस गये और कई झाडिय़ों में फंसे हैं लेकिन पुलिस न तो इनकी नीलामी करा पाई और न ही संबंधितों को लौटा पाई है।
कहां से आते हैं यह वाहन
पुलिस द्वारा लावारिस हालत में पड़े, दुर्घटना के बाद वाहन छोड़कर भागने पर, चोरी के मामलों में जब्ती के बाद, अवैध शराब, अन्य मादक पदार्थ, पशु तस्करी में जब्त और बरामद किये गये वाहनों को थानों के परिसरों में खड़ा कराया जाता है। केस में वाहन जब्ती दिखाकर मामला कोर्ट में विचाराधीन होता है।
ऐसे में कई मामलों में चालान व जुर्माने की कार्रवाई के बाद वाहन छोड़ दिये जाते हैं लेकिन कुछ मामलों में वाहनों का निराकरण नहीं हो पाता। ऐसे वाहन थानों के परिसरों में ही वर्षों तक लावारिस हालत में खड़े रहते हैं। शहर के कई थानों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे वाहन जंग खा रहे हैं। कुछ थानों में तो इनके रखने की जगह तक नहीं बची।
सिर्फ 6 थानों में ही 300 से अधिक वाहन
महाकाल, चिमनगंज, नीलगंगा, भेरूगढ़, देवासगेट, नागझिरी थानों के बाहर परिसर में पर्याप्त खुली जगह है। इन 6 थानों में ही 300 से अधिक जब्ती के वाहन परिसर में खड़े हैं जिनमें ट्रक, कार से लेकर बाइक और स्कूटर शामिल हैं। सभी वाहन खटारा हालत में खड़े हैं जो अब चलने लायक भी नहीं बचे हैं।
टायर ट्यूब से लेकर अनेक पुर्जे होते हैं चोरी
थानों के परिसर में वाहनों को खड़ा रखना मामूली बात नहीं क्योंकि इनकी देखरेख भी पुलिस को ही करना पड़ती है। ऐसे में कई बार वाहनों के टायर ट्यूब से लेकर उनमें लगे जरूरी पुर्जे, बैटरी आदि चोरी हो जाती हैं। हालांकि इसकी रिपोर्ट या सूचना किसी के द्वारा थाने में दर्ज नहीं कराई जाती।