दिवाली पर उज्जैन सबसे ज्यादा प्रदूषित

By AV NEWS

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही, न एडवाइजरी जारी की और ना ही प्रतिबंधित पटाखों को पकड़ा

उज्जैन।केंद्र सरकार के नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) में शामिल होने के बावजूद प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र उज्जैन शहर की हवा दो साल में पहले से और ज्यादा प्रदूषित हो गई है। 2019 की तुलना में 2021 में शहर की हवा में पीएम-2.5 का स्तर 8 फीसदी बढ़ा हुआ पाया गया था।

इसके बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहर की आबोहवा को बेहत्तर बनाने में नाकामयाब है। लापरवाह बोर्ड ने दीपावली के मद्देनजर प्रदूषण नियंत्रण के लिए न कोई एडवाइजरी जारी की और ना ही प्रतिबंधित पटाखों को पकड़ा। नतीजतन दिवाली पर उज्जैन की हवा प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित थी।

दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े गए। नतीजतन मप्र की फिजा खराब हो गई। सबसे ज्यादा प्रदूषित उज्जैन हो गया, जहां एयर क्वालिटी 267 तक पहुंच गई थी।। वहीं जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर व भोपाल में भी हवा का स्तर कमजोर कैटेगरी पर पहुंचा। एक्यूआई का स्तर भोपाल में 255, ग्वालियर में 231, जबलपुर में 225, इंदौर में 210, कटनी में 224 व रतलाम में 236 रिकॉर्ड किया गया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही के कारण एनजीटी की कड़ाई के बावजूद पटाखों को छोडऩे के लिए तय नियमों का पालन नहीं हुआ। प्रदेश में वायु प्रदूषण अपने तय मानक से अधिक दर्ज किया गया। दीपावली के बाद दर्ज हुआ एक्यूआई यानी एयर क्वाालिटी इंडेक्स का स्तर बिगड़ा पाया गया।

मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों के सामने आए आंकड़ों में सबसे ज्यादा प्रदूषित उज्जैन शहर दर्ज किया गया, जहां एयर क्वालिटी का स्तर 267 तक पहुंच गया। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के चार प्रमुख शहरों के हाल भी कोई अच्छे नहीं रहे। प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर उज्जैन था।

उज्जैन में 8 प्रतिशत बढ़ा प्रदूषण
बता दें कि मप्र में ऐसे 7 शहर हैं, जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, देवास, सागर और उज्जैन शामिल हैं। जिन्हें केंद्र सरकार हर साल धूल और धुआं कम करने के लिए 50 से 100 करोड़ तक ग्रांट दे रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट की इकाई अरबन लैब की हाल में जारी एक रिपोर्ट में यह तस्वीर सामने आई है। इसमें भारत के औद्योगिक और कस्बाई शहरों की हवा में पीएम-2.5 के स्तर में बदलाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम का सकारात्मक असर देवास शहर में नजर आया है, यहां 2019 की तुलना में 2021 में हवा में सालाना औसत पीएम-2.5 का स्तर 6 फीसदी कम पाया गया है।

Share This Article