हनुमान चालीसा पढऩे से पहले जान लें इसके नियम, होंगे संकट दूर…

By AV NEWS

हनुमान जी सभी संकटो को दूर करने वाले है इसीलिए इनको संकट मोचन कहा जाता है। हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय हनुमान चालीसा का पाठ है। नियमित हनुमान चालीसा का पाठ आपको मानसिक तनाव से मुक्ति देकर आपके आत्मविश्वास में वृद्धि करने में सहायक है।

हिन्दू मान्यता के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है, इस दिन हनुमान चालीसा के पाठ का विशेष महत्व है। महिलाएं और पुरुष दोनों समान रूप से हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। यह आपके जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों को दूर करने में सहायक है। यदि आप भी नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे जड़े कुछ नियम जान लीजिये जिसकी सहायता से आप बजरंग बली को जल्दी प्रसन्न कर पाएंगे-

शांत मन से करें पाठ
शांत मन से करें, कुछ लोग जल्दबाजी में बस हनुमान चालीसा की कुछ चौपाइयों का ही पाठ करते हैं, या जल्दी- जल्दी गलत शब्दों का उच्चारण करके हनुमान चालीसा के पाठ को पूरा करते हैं। यह तरीका सही नहीं है, हनुमान चालीसा पढृने में ज्यादा समय नहीं लगता अगर आपके पास सुबह हनुमान चालीसा पढऩे के लिए समय नहीं है तो आप शाम को हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ किसी शांत स्थान पर बैठ कर हनुमान चालीसा पढऩी चाहिए।

लाल वस्त्रों में करें पाठ
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय लाल वस्त्र धारण करें, लाल रंग हनुमान जी को विशेष रूप से प्रिय है। कभी अस्वच्छ वस्त्रों में हनुमान चालीसा का पाठ ना करें। यदि हनुमान चालीसा का पाठ घर में कर रहें हैं तो हनुमान जी के चित्र को लाल रंग के आसन पर विराजमान करें। लेकिन कभी भी भीगे वस्त्रों में हनुमान चालीसा का पाठ ना करें।

तीन या पांच बार करें पाठ
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय कोशिश करें पाठ तीन या पांच बार करें, मंगलवार को पाठ सुबह और शाम दोनों समय करें, आपको मानसिक शांति की अनुभूति होगी और आपका स्ट्रेस भी दूर होगा।

कुश या ऊनी आसन पर करें पाठ
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय कुश या फिर ऊनी आसन का प्रयोग करें। आसन लाल रंग का होना चाहिए। घर में हनुमान चालीसा का पाठ कर रहें हैं तो स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान रखें। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय हनुमान जी को सिंदूर और तुलसी अवश्य अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले राम नाम का उच्चारण अवश्य करें, यह हनुमान जी को अत्यंत प्रिय है।

Share This Article