पाप और पारा कभी भी किसी को नहीं पचता: मुनिश्री सुप्रभसागरजी

By AV NEWS

धन के लोभ में व्यक्ति धर्म को भूल जाता है

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन व्यक्ति जब भी कोई पाप करता है तो एकांत या अंधेरे की खोज करता है, उसे डर लगता है कि मुझे पाप करते हुए किसी ने देखा तो नहीं, लेकिन वह भूल जाता है कि भले ही किसी ने न देखा हो पर स्वयं और स्वयंभू तो प्रतिपल देख ही रहा है। ऐसा कहा भी जाता है कि पाप और पारा कभी भी किसी को नहीं पचता है। यदि पुण्य उदय में आते दिखता है तो पाप भी उदय में आते हुए अवश्य दिखाई देता है। इसलिए पुण्य के उदय में इतराना नहीं चाहिये और पाप के उदय में घबराना भी नहीं चाहिये।

यह बात श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर ऋषिनगर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री सुप्रभसागरजी ने कही। धर्मसभा के पूर्व आचार्यश्री विशुध्दसागरजी महाराज की पूजन संपन्न हुई। धर्मसभा का मंगलाचरण ममता पाटोदी, भीलवाड़ा ने किया। आचार्यश्री के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन भीलवाड़ा राजस्थान, वाशिम, अमरावती महाराष्ट्र, विदिशा, अशोक नगर, सतना, टीकमगढ़ से आये अतिथियों ने किया।

मुनिश्री के पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का सौभाग्य अभयकुमार गोधा परिवार, कल्याण मंदिर ने प्राप्त किया। प्रवचन में मुनिश्री ने कहा कि पुण्यात्मा का जब तीव्र पुण्य उदय में आता है तो सभी धर्मात्मा एक ही परिवार में उत्पन्न होते हैं क्योंकि धन के लोभ में व्यक्ति धर्म को भूल जाता है लेकिन वास्तव में धन के साथ व्यक्ति धर्मात्मा हो यह बहुत बड़े पुण्य का ही उदय होता है और जब व्यक्ति अपने पुण्य को ही पुण्य लगा देता है तो जीवन के कल्याण का मार्ग अवश्य ही प्राप्त हो जाता है। जानकारी मीडिया प्रभारी प्रदीप झांझरी ने दी।

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