जिला भाजपा में टिकट को लेकर युवा वर्ग सामने आया

By AV NEWS

दिल्ली तक बात पहुंचवाई, नया नेतृत्व दो पूरे जिले में, तभी जीतेंगे सातों सीट !

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:एक ओर जिले की दो विधानसभा सीटों पर भाजपा द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा की जा चुकी है वहीं दूसरी ओर इनका स्थानीय स्तर पर विरोध भी सामने आ चुका है। इस बीच जिलेभर के भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं ने भोपाल को बायपास करके सीधे दिल्ली अपनी बात पहुंचाई है। मांग की गई है कि पूरे जिले में नया नेतृत्व दिया जाए, ताकि जिले की सभी सीटों पर शत-प्रतिशत जीत दर्ज की जा सके।

अनौपचाकरिक चर्चा करने पर जमीनी कार्यकताओं द्वारा किए जाने वाले दावों को आधार माने तो उनका आरोप है कि-जिले में लम्बे समय से कार्यकर्ताओं के बीच इस बात को लेकर आक्रोश है कि वे केवल चुनाव के समय याद आते हैं। झंडे तोकने से लेकर घर-घर जाकर मतदाताओं के निकालने का काम करते हैं। जिले की राजनीति में लम्बे से समय से जमे कतिपय पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा पार्टी के भीतर एवं सरकर के स्तर पर पद दिलाने में कथित भाई-भतीजावाद किया जाता है। यह बात उपर तक पहुंचाने पर केवल अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। ऐसे में इस बार यदि सुनवाई नहीं हुई तो परिणाम विपरीत हो सकते हैं। कार्यकर्ता घर बैठ जाएंगे या मन से काम नहीं करेंगे।

यह भी सुझाव दिए हैं दिल्ली को

जिले के सक्रिय युवाओं की टीम चर्चा में बताती है कि उन्होने यह भी सुझाव दिए हैं कि नए चेहरे आने पर जहां जीत पक्की होगी वहीं कार्यकर्ताओं की दूसरी पीढ़ी भी तैयार होगी। दूसरी पीढ़ी को कद्दावर नेताओं द्वारा आगे ही नहीं आने दिया जा रहा है। ऐसे में नए नेतृत्व के अभाव में आगामी वर्षो में पार्टी को दिक्कतें आ सकती है।

उज्जैन जिले को लेकर यहां किया फोकस

जिले को लेकर बताया गया कि महाकाल महालोक बनने के बाद उज्जैन जिला देश के नक्शे पर नए सिरे से उभरकर आया है। यहां करीब एक लाख लोगों की भीड़ रोजाना दर्शन के लिए उमड़ती है। शहर का अव्यवस्थित यातायात, भू माफियाओं द्वारा किए जा रहे अनियमित विस्तार और अतिक्रमण के कारण बिगड़ता शहर का भूगोल, अधिकारियों द्वारा लिए जाने वाले एकतरफा निर्णय, जनप्रतिनिधियों के अपने हितों के कारण हस्तक्षेप न करने की नीति आदि ऐसे अनेक बिंदु हैं जिससे आम नागरिक के मन में पार्टी की रीति-नीति को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं। मांग उठ रही है कि नया नेतृत्व आए ताकि लाभ की जगह समाज, परिवार को समग्र लाभ की स्थिति बन सके।

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