निगम सम्मेलन में 2 करोड़ की बचत का लाइट मेंटेनेंस का प्रस्ताव अटका, भाजपा में उथलपुथल

By AV NEWS

निगम सम्मेलन में 2 करोड़ की बचत का लाइट मेंटेनेंस का प्रस्ताव अटका, भाजपा में उथलपुथल

प्रस्ताव पर महापौर और निगम अध्यक्ष आमने- सामने

प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन में भी कई मुद्दों पर मंथन…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम के सम्मेलन में जो पॉलिटिकल ‘कला’ उभरकर सामने आई है, उससे भाजपा में उथलपुथल मच गई है। मामला सीएम तक भी जा पहुंचा है क्योंकि शहर की लाइट व्यवस्था के लिए 2 करोड़ रुपए बचाने का प्रस्ताव अधर में पड़ गया है।

अंदर की खबर यह है कि एक तरफ जहां अधिकतर पार्षद सहित महापौर मुकेश टटवाल ने इसके लिए पूरी ताकत लगाई तो अध्यक्ष कलावती यादव इससे सहमत नहीं हैं और सम्मेलन 12 सितंबर तक स्थगित कर दिया। लिहाजा, अब शेष सम्मेलन पर सभी की निगाहें रहेंगी।

पढि़ए एक रोचक स्टोरी…

हाल ही 6 सितंबर को हुआ नगर निगम का सम्मेलन प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन के लिए भी चौंकाने वाला साबित हुआ है। दरअसल, भाजपा नेतृत्व वाली नगर सरकार पिछले करीब छह माह से लाइट मेंटेनेंस का काम ब्रिज एंड रूफ कंपनी से कराने का प्रयास कर रही क्योंकि इससे निगम प्रशासन पर आर्थिक भार कम होगा और विधानसभा चुनाव से पहले पूरे शहर की प्रकाश व्यवस्था बेहतर हो जाएगी।

इसको लेकर शहर के अधिकतर पार्षद भी सहमत हैं। दूसरी ओर निगम अध्यक्ष यादव ने इसे रोक दिया है। चर्चा है उन्होंने प्रस्ताव की फाइल और जानकारी नहीं मिल पाने की बात पर इसे अधर में डाल दिया। सूत्रों की मानें तो महापौर ने यहां तक संदेश भिजवा दिया था कि वे इसे वापस एमआईसी को लौटा दें ताकि एमआईसी अब इसे अपने अधिकार के तहत मंजूर कर सकती है।

प्रदेश सरकार ने एमआईसी के वित्तीय अधिकार बढ़ाकर अब 20 करोड़ कर दिए हैं। इस कारण एमआईसी इसे मंजूर कर सकती है। इसके बाद भी अध्यक्ष ने सम्मेलन को स्थगित कर सभी को चौंका दिया।

निगम अध्यक्ष से सीधी बात

सवाल: लाइट मेंटेनेस का प्रस्ताव आपने रोक दिया है क्या?

जवाब: नहीं सदन में केवल 11 प्रस्ताव ही आए थे। यह प्रस्ताव ही नहीं आया।

सवाल: यह विषय चर्चा में कैसे आया?

जवाब: दरअसल स्मार्ट सिटी से टेंडर होना है। बताया गया था कि इससे 2 करोड़ रुपए का फायदा होना है, लेकिन फाइल में स्पष्टीकरण नहीं दिया कि कैसे फायदा होगा।

सवाल: भाजपा पार्षदों में आक्रोश है कि उनसे ज्यादा विपक्ष को बोलने का मौका दिया।

जवाब: आसंदी पर जब हम बैठते हैं तो निष्पक्ष रहना पड़ता है। सभी को बराबर अपनी बात रखने का अवसर देना पड़ता है।

सवाल: क्या महापौर ने कहा था वापस लौटा दो, एमआईसी से पास करा लेंगे।

जवाब: प्रस्ताव पटल पर आया ही नहीं तो लौटाने का प्रश्न ही नहीं।

छह माह की मेहनत पर ऐसे फिरा पानी…

महापौर परिषद इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे चुकी है। केवल निगम परिषद से पास होना है।

6 सितंबर के सम्मेलन में यह प्रस्ताव रखा गया। विपक्ष ने भी इसका ज्यादा विरोध नहीं किया।

निगम अध्यक्ष यादव ने इसे यह कहकर रोक दिया कि इसका तकनीकी परीक्षण कराया जाए।

मामला गरमाया तो सम्मेलन के दौरान अध्यक्ष यादव अपने चैंबर में चली गई थीं।

पार्षदों के साथ प्रकाश विभाग प्रभारी दुर्गा चौधरी सहित एमआईसी सदस्य डॉ. योगेश्वरी राठौर चैंबर में पहुंचे।

सूत्रों के अनुसार चौधरी एक तरफ हो गई थीं, कुछ बोल नहीं पा रही थीं, तब राठौर ने बोलना चाहा तो उन्हें यह कहकर चुप करा दिया कि यह तुम्हारा विषय नहीं।

आखिर में महापौर टटवाल ने अध्यक्ष तक मैसेज भिजवाया कि वे निरस्त कर एमआईसी को लौटा दे। इसे भी तवज्जो नहीं दी।

निगम अध्यक्ष के बंगले पर रात 11 बजे तक मंथन, और…

प्रस्ताव पास करने के लिए सम्मेलन से एक दिन पहले अध्यक्ष यादव के बंगले पर नौ एमआईसी सदस्य और नगर भाजपा अध्यक्ष विवेक जोशी, अनिल जैन कालूहेड़ा सहित भाजपा नेता भी यादव के बंगले पर पहुंचे थे। खासतौर से लाइट के प्रस्ताव को पारित करने पर सहमति बनाई गई थी।

रात 11 बजे तक मंथन का दौर चला था। बाद में रात करीब 11.30 बजे ही यादव ने साथी पार्षदों को यह मैसेज भेज दिया था कि वे इसे अभी रोकेंगी और सम्मलेन स्थगित करेंगी। अब विपक्षी पार्षदों में चर्चा जोरों पर चल रही है कि अभी आउटसोर्स का ठेका जिस कंपनी के पास है उसको लाभ पहुंचाने के लिए प्रस्ताव अधर में डाला गया है।

प्रस्ताव और फायदे का गणित घाटे के मुद्दे …

वर्तमान में लाइट मेंटेनेंस का काम आउटसोर्स से कराया जा रहा।

इसके लिए 95 लोगों के वेतन सहित 4 हाइड्रोलिक का भार निगम उठा रहा।

शहर की 45 हजार लाइटों के मेंटेनेंस का खर्चा 4 करोड़ से ज्यादा हो रहा।

फायदे की बातें

भारत सरकार की ब्रिज एंड रूफ कंपनी को यह काम सौंपने की तैयारी।

कंपनी 39 रुपए प्रति सेट की दर यह काम करने को तैयार। सीधे एग्रीमेंट से काम शुरू होगा।

इस दर के हिसाब से लाइट मेंटेनेंस का खर्च करीब 2 करोड़ रुपए तक सीमित हो जाएगा।

इसलिए भाजपा संगठन तक पहुंचा स्थगित सम्मेलन का मुद्दा!

महापौर के कथन बाद अध्यक्ष अपने पॉवर से सम्मेलन खत्म कर सकती थीं, क्योंकि इसके बाद चर्चा नहीं होती लेकिन गौशाला की गायों के मुद्दे पर विपक्ष को बोलने और धरना देने का मौका मिल गया।

भरे सम्मेलन में लाइट के मुद्दे पर अध्यक्ष यादव ने एमआईसी सदस्य को तल्ख अंदाज में बोलने से रोककर बैठा दिया था।

विपक्ष के नेता से जब एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी बात कर रहे थे तब उन्हें भी रोक कर बैठाया था।

विपक्ष के नेता रवि राय और माया त्रिवेदी को बार बार बोलने का मौका दिया जबकि महापौर सहित भाजपा पार्षद हाथ उठाते रह गए।

केंद्र के नमामि गंगे प्रोजेक्ट का भी तकनीकी परीक्षण कराने का कहकर रोकना चाहा था।

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