परंपरागत मार्ग से डोल निकालने का दावा..

By AV NEWS

गलत नल कनेक्शन ठीक नहीं, मुसीबत का बने सबब

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन डोल ग्यारस पर केडी गेट रोड के हिस्से में लालबाई फूलबाई चौराहे से निकलने वाले डोल इस बार भी परंपरागत मार्ग से ही निकलेंगे। यह दावा रविवार को महापौर मुकेश टटवाल और निगम अधिकारियों ने किया है, लेकिन क्षेत्रीय लोगों को आशंका है कि बड़े ट्रालों के कारण मुसीबत खड़ी न हो जाए। पीएचई के गलत नल कनेक्शन अब तक ठीक नहीं हो सके हैं। इससे भी मुसीबत खड़ी हो सकती है।

केडी गेट रोड चौड़ीकरण का काम सुस्त पडऩे के कारण यह समस्या खड़ी हो गई थी कि डोल ग्यारस पर निकलने वाले डोल परंपरागत मार्ग से निकल सकेंगे या नहीं। रविवार सुबह महापौर टटवाल ने एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, प्रकाश शर्मा, रजत मेहता, सत्यनारायण चौहान, स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक के साथ डोल निकलने वाले मार्ग का निरीक्षण किया। महापौर ने कहा कि परंपरागत मार्ग का अधिकतर काम पूरा हो गया है तथा शेष काम सोमवार शाम से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इस कारण परंपरागत मार्ग से डोल निकालने वाले मार्ग कोई दिक्कत नहीं है।

निरीक्षण के दौरान गणेश चौक से इमली तिराहा तक पीएचई की पाइपलाइन से लोगों को दिए गए नल कनेक्शन नियम के विपरीत ही दिखाई दिए। ये कनेक्शन पाइप की ऊपरी सतह से दे दिए गए हैं। इसको लेकर दौरे में नाराजी भी जताई गई। रोड पर किए जा रहे कांक्रीट कार्य की क्वालिटी को लेकर भाजपा के ही कुछ पार्षद नाराजी जता चुके हैं। निगम अधिकारियों के समक्ष कुछ दिन पहले आपत्ति जताई जा चुकी है कि आठ इंच की जगह मोटाई कम ली गई है। एमआईसी के सदस्यों ने शिकायत दर्ज कराई थी।

अब 10 फीसदी शेष काम बना चुनौती- निगम के इंजीनियरों ने रात दिन एक कर तीन दिनों में रोड का 90 फीसदी काम तो पूरा कर दिया, लेकिन शेष 10 फीसदी काम अभी बाकी है। सोमवार शाम तक इसे पूरा करना है। इसमें बड़ी समस्या गलत नल कनेक्शन की भी आ रही। लालबाई फूलबाई चौराहे पर आड़े पाइप डाल देने से नाली का पानी वापस घरों की ओर आने की समस्या आ सकती है। पार्षदों ने क्रॉस पाइप डालने का सुझाव दिया था, जिसे ठेकेदार ने नजरंदाज कर दिया।

ठेकेदार पर मेहरबान अफसर, इसलिए पार्षद नाराज
महापौर के निरीक्षण के दौरान भाजपा के ही कुछ पार्षद नाराज हैं। इस कारण कुछ पार्षद दौरे में ही नहीं पहुंचे। एक पार्षद ने खुलकर कहा है कि जिस ठेकेदार पर वरिष्ठ अफसर मेहरबान हैं, वह कैसे काम अच्छा करेगा। कई बार दौरे हो चुके लेकिन ठेकेदार वही करता है जो चाहता है। अफसर भी उसे कुछ नहीं कहते। इस कारण वे दौरे से दूर रहे।

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