मास्टर प्लान भोपाल में अटका, कस्बा उज्जैन के टीएनसी नक्शे रुके

चुनाव आचार संहिता लागू हो गई तो लंबा इंतजार करना होगा स्वीकृति के लिए
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:उज्जैन का संशोधित मास्टर प्लान राजधानी भोपाल से अब तक पास होकर बाहर नहीं निकल सका है। इससे उज्जैन कस्बा के अंतर्गत टीएनसी नक्शे पास नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। हालांकि टीएनसी मुख्यालय ने उज्जैन कस्बा सहित सावराखेड़ी और जीवनखेड़ी के नक्शे भी होल्ड पर रखे हैं। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले यह मंजूर नहीं हुआ तो लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
मास्टर प्लान को भोपाल में नगरीय प्रशासन विभाग से मंजूरी मिलना बाकी है। उज्जैन कार्यालय से इसे भेजे करीब दो माह से ज्यादा समय बीत चुका लेकिन विभाग इस पर निर्णय नहीं ले पा रहा। सूत्रों के मुताबिक जीवनखेड़ी की जमीन को लेकर भी पेच बना हुआ है। इस गांव की जमीन भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित करने को लेकर विचार का दौर चल रहा है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद प्रो. चिंतामणि मालवीय इस सिलसिले में विभाग को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने कहा है कि जीवनखेड़ी की जमीन भी सिंहस्थ के लिए आरक्षित की जाए।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की दखल पर मास्टर प्लान में संशोधन कर 148 हेक्टेयर जमीन को दोबारा आवासीय से कृषि भूमि कर सिंहस्थ के लिए आरक्षित करने की प्रक्रिया भोपाल में चल रही है। उज्जैन कस्बा और सावराखेड़ी की जमीन को वापस कृषि उपयोग की करने के लिए टीएनसी उज्जैन द्वारा आपत्ति और सुझाव के साथ प्रस्ताव भोपाल भेजा जा चुका है।
नगरीय प्रशासन विभाग को इस पर अंतिम फैसला लेना है। स्थानीय भाजपा नेताओं का भी इस बात को लेकर विभाग पर दबाव बना हुआ है कि जीवनखेड़ी की जमीन सिंहस्थ क्षेत्र से आरक्षित करने से क्यों छोड़ दी जबकि यह भी सिंहस्थ बायपास के पास है और आवासीय रखने से यहां भी कॉलोनियां कट जाएंगी और आने वाले समय में सिंहस्थ महापर्व के आयोजन के लिए इस क्षेत्र में जमीन का संकट खड़ा हो सकता है।
कांग्रेस बनाएगी चुनावी मुद्दा
विधानसभा चुनाव से पहले मास्टरप्लान को मंजूर कर स्थिति साफ करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। अगले माह कभी भी विधानसभा चुनाव की आचारसंहिता लागू की जा सकती है। इससे यह मामला अधर में पड़ सकता है। कांग्रेस इस पर नजर जमाए हुए है, क्योंकि वह इसे चुनावी मुद्दा बनाकर साधु संतों को खुश करने का प्रयास करेगी। मास्टरप्लान पर अनिर्णय की स्थिति होने से साधु संत भी असंतुष्ट हैं।
जीवनखेड़ी के नक्शे होल्ड पर होने से पसोपेश बरकरार
नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएंडसीपी) ने जीवनखेड़ी के नक्शों को भी होल्ड पर रखा है। मास्टर प्लान की स्थिति साफ होने तक जीवनखेड़ी के नक्शे होल्ड पर ही रहेंगे। विभाग को भोपाल से संकेत या हरी झंडी मिलने का इंतजार है। हालांकि सीएम के निर्देश पर केवल कस्बा उज्जैन और सावरखेड़ी की जमीन को ही वापस आवासीय करने की प्रक्रिया चल रही है।
इसलिए तो नहीं अटका प्लान
मास्टरप्लान को लेकर भाजपा की आंतरिक राजनीति भी गहराई हुई है। इसको लेकर दो गुट बने हुए हैं। इस कारण भोपाल में इसे रोककर रखा गया है क्योंकि मंजूरी मिलने के बाद भाजपा पर दोहरा असर पड़ सकता है। एक तरफ किसान वर्ग नाराज हो सकता है तो दूसरी तरफ साधु संत। इस कारण प्लान को चुनाव होने तक भोपाल में ही होल्ड पर रखा जा सकता है।









