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तेरह, 9 से बैर नहीं….बाकी किसी की खैर नहीं…

दो शहर को छोड़कर शेष अन्य जिलों के वाहन नहीं बच पाते हैं चालानी कार्रवाई से

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तेरह, नौ से बैर नहीं….बाकी किसी की खैर नहीं…

 

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:यदि आप हरीफाटक ब्रिज से महामृत्युंजय द्वार इंदौर रोड पर अपने चार पहिया वाहन से जा रहे है और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन MP13 या MP09 से है तो कोई बात नहीं..,लेकिन वाहन का पंजीयन अन्य जिलों का है तो आपको अपनी जेब हल्की करना ही पड़ेगी।

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ऐसा कुछ पिछले कुछ दिनों से हरीफाटक रोड शांति पैलेस चौराहे पर हो रहा है। यहां दो पुलिसकर्मी अपनी मोटर सायकल से प्रतिदिन आते है। सफेद शर्ट और नीले पैंट वाले पुलिसकर्मी महामृत्युंजय द्वार की ओर जाने वाले हर उस चार पहिया वाहन को रोकते है,जिनका रजिस्ट्रेशन एमपी-13 (उज्जैन),एमपी-09 (इंदौर) से नहीं है। मप्र के अन्य जिलों के साथ अन्य वाहनों को तत्काल रोका जाता है।

इसमें दूसरे प्रांतों की गाडिय़ों पर तो विशेष नजर रखकर रोका जाता है। इसके बाद गाड़ी और चालाक के हर उस पहलू की पड़ताल होती है,जिसमें खामियां निकालकर जुर्माना वसूल किया जा सकें। वाहनों को रोकने वाले पुलिसकर्मी प्रारंभिक पड़ताल के बाद वाहन मालिक-चालाक के मैडम के पास भेज देते है। मैड़म है कि मोटर बाइक की सीट पर रसीद कट्टा लेकर तैयार रहती है।

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मामला चालानी कार्रवाई पर तय हो गया तो जुर्माना जमा करो..रसीद लो और निकल लो…..। नहीं तो जो बातचीत में दान-दक्षिणा तय होने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ सकती है। यह दस्तूर बीते एक सप्ताह से चल रहा है। दिनभर चलने वाले इस क्रम में पुलिसकर्मी नहीं बदले है। इतना जरूर है कि समय बदलता रहता है।

ट्रैफिक चालान तीन तरह के होते हैं

ऑन द स्पॉट चालान: यह चालान तब काटे जाते हैं जब नियम तोडऩे वाले को पुलिस रंगे हाथों पकड़ लेती है और उसे चालान थमाकर जुर्माना मौके पर ही वसूल लेती है। इसमें वाहन चालाक जुर्माने की यह रसीद लेना नहीं भूलें। अगर कोई शख्स मौके पर जुर्माना नहीं भरना चाहता या उसके पास पैसे नहीं हो तो ऐसे में पुलिस वाहन चालक का डीएल जमा करके चालान दे देती है। इसके बाद में कोर्ट में बताई गई तारीख को कोर्ट में पेश होना होगा, जुर्माना भरकर डीएल वापस पाया जा सकता है।

नोटिस चालान: अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियम तोड़कर मौके से भाग गया है तो पुलिस उसकी गाड़ी का नंबर नोट करके उस पते पर चालान भिजवा देती है जिस पते पर गाड़ी रजिस्टर्ड है। इसे नोटिस चालान कहा जाता है। इस चालान का जुर्माना भरने के लिए आरोपी को एक महीने का वक्त दिया जाता है। ट्रैफिक पुलिस के स्थानीय ऑफिस में जाकर यह जुर्माना भरा जा सकता है। अगर समय पर जुर्माना नहीं भरा जाए तो फिर चालान कोर्ट में भेज दिया जाता है।

कोर्ट के चालान: कोर्ट के चालान आमतौर पर कानून तोडऩे की ऐसी गंभीर घटनाओं में काटे जाते हैं, जिनमें जुर्माने और सजा, दोनों का प्रावधान है। कुछ ऑफेंस ऐसे भी होते हैं जिनमें कोर्ट के ही चालान कटते हैं और जिनमें ऑन स्पॉट जुर्माना नहीं वसूला जा सकता, जैसे ड्रंकन ड्राइविंग, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन, परमिट का उल्लघंन आदि। इनमें जुर्माना पुलिसकर्मी नहीं वसूलते। इसके लिए कोर्ट ही जाना होता है। ऐसे में नियमों का उल्लंघन करने वाले का कोर्ट का चालान काटा जाता है।

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