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कांग्रेस की पहली सूची तो भाजपा का घोषणा पत्र भी है तैयार…

श्राद्ध पक्ष समाप्त होने का इंतजार…

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कांग्रेस और भाजपा में गतिविधियां तेज, भाजपा ने 79 उम्मीदवार घोषित कर दिए

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने के पहले कांग्रेस और भाजपा में गतिविधियां तेज हो गई है। भाजपा ने 79 उम्मीदवार घोषित कर दिए। भाजपा का घोषणा पत्र और कांग्रेस की पहली सूची तैयार है,लेकिन श्राद्ध पक्ष आड़े आ गया है। नतीजतन भाजपा ने घोषणा-पत्र और कांग्रेस कांग्रेस की पहली सूची को फिलहाल टाल रखा है। श्राद्ध पक्ष चल रहा है। चुनावी सीजन भी शुरू हो चुका है।

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चर्चा जोरों पर है कि क्या चुनाव आयोग पितृपक्ष में चुनाव की घोषणा करेगा? कांग्रेस और भाजपा क्या इस श्राद्ध पक्ष में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेंगी? 2003 से लेकर 2018 तक के चुनाव लगभग श्राद्ध पक्ष के आसपास ही रहे,लेकिन दोनों ही दलों ने श्राद्ध पक्ष में उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की। इतना अवश्य है कि भारत निर्वाचन आयोग ने 2013 और 2018 में पितृपक्ष के बीच चुनाव की घोषणा जरूर की थी।

कांग्रेस में लगभग 80 नाम तय

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कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों का दौर चल रहा है। पार्टी ने पहली सूची के लिए लगभग 80 उम्मीदवारों के नाम लगभग तय कर लिए गए हैं। श्राद्ध पक्ष के कारण सूची को टाला जा रहा है। हालांकि कांग्रेस नेता सूची को टालने के संबंध में सीधे कुछ बोल नहीं रहे,लेकिन दबी जुबान श्राद्धपक्ष के कारण सूची जारी होने में विलंब की बात स्वीकार रहे है। हालांकि कांग्रेस नेता यह भी कह रहे है कि उनकी तैयारी पूरी है। कभी भी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी हो सकती है। श्राद्धपक्ष के मसले पर दोनों पार्टियां खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रही हैं।

भाजपा एक बड़ा इवेंट बना सकती है

इस साल 29 सितंबर से शुरू हुआ श्राद्ध पक्ष 14 अक्टूबर तक चलेगा। इसके चलते ही भाजपा ने घोषणा पत्र को टाल दिया है। पहले पार्टी की ये तैयारी थी कि चुनाव की घोषणा होने के 48 घंटे बाद ही घोषणा पत्र का ऐलान किया जाएगा, लेकिन ज्योतिषियों की राय पर पार्टी ने ये फैसला आगे बढ़ा लिया है। संभवत: अब भाजपा नवरात्र में ही पार्टी का घोषणा पत्र जारी करेगी। नवरात्र में घोषणा पत्र जारी करने को भी पार्टी एक बड़ा इवेंट बना सकती है। भाजपा पहले ही 79 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।

मान्यता और परंपराओं के अनुसार हमारी संस्कृति में श्राद्ध का संबंध पूर्वजों की मृत्यु की तिथि से है। अत: श्राद्धपक्ष शुभ तथा नए कार्यों के प्रारंभ हेतु अशुभ काल माना गया है। जैसे अपने परिजन की मृत्यु के पश्चात हम शोकाकुल अवधि में रहते हैं और अपने अन्य शुभ, नियमित, मंगल, व्यावसायिक कार्यों को विराम दे देते हैं, वही भाव पितृपक्ष में भी जुड़ा है। इस अवधि में हम पितरों से और पितर हमसे जुड़े रहते हैं। अत: अन्य शुभ-मांगलिक शुभारंभ जैसे कार्यों को वंचित रखकर हम पितरों के प्रति पूरा सम्मान और एकाग्रता बनाए रखते हैं।

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