Advertisement

PM मोदी ने भगवान शिव के धाम आदि कैलाश पर्वत के दर्शन किए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उत्तराखंड दौरे पर हैं. जहां सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पिथौरागढ़ ज़िले में जोलिंगकांग से आदि कैलाश पर्वत के दर्शन किए. पीएम मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने चीन की सीमा में स्थित आदि कैलाश का दर्शन इतने क़रीब से किया है. इसके साथ ही आज उत्तराखंड को पीएम मोदी क़रीब 4200 करोड़ के विकास परियोजनाओं की सौग़ात भी देंगे.

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड के एक दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे जहां उन्होंने भगवान शिव के धाम आदि कैलाश चोटी के दर्शन किए और पार्वती कुंड पहुंचकर पूजा—अर्चना की. पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री कुमांउ क्षेत्र में अपने दिन भर के दौरे के दौरान सीमांत गुंजी गांव भी जाएंगे.

Advertisement

उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रधानमंत्री अल्मोड़ा में भगवान शिव के एक और प्रसिद्ध धाम जागेश्वर भी जाएंगे.जागेश्वर से वह वापस पिथौरागढ़ जाएंगे जहां वह एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इस दौरान वह करीब 4200 करोड़ रूपये की लागत की योजनाओं का शिलान्यास तथा लोकार्पण भी करेंगे.

Advertisement

पारंपरिक पगड़ी और रंगा (शरीर के उपरी हिस्से में पहना जाने वाला वस्त्र) के पारंपरिक परिधान पहने मोदी ने पार्वती कुंड के किनारे स्थित प्राचीन शिव—पार्वती मंदिर में आरती की. स्थानीय पुजारियों वीरेंद्र कुटियाल ओर गोपाल सिंह ने उनकी पूजा संपन्न कराई.पीएम मोदी आदि कैलाश चोटी के सामने हाथ जोड़कर कुछ देर ध्यान भी लगाया. इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके साथ मौजूद थे जिन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘इंस्टाग्राम’ पर मोदी की एक रील भी पोस्ट की है.

पीएम मोदी कुमांउ क्षेत्र के अपने दिन भर के दौरे में सीमांत गुंजी गांव भी जाएंगे जहां वह स्थानीय लोगों तथा सुरक्षा बलों से मुलाकात के अलावा स्थानीय उत्पादों और शिल्प की एक प्रदर्शनी भी देखेंगे. इसके बाद वह अल्मोड़ा में भगवान शिव के एक और प्रसिद्ध धाम जागेश्वर तथा भी जाएंगे.उत्तराखंड में स्थित आदि कैलाश, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है.

यहां जाने के लिए पहले एक लंबा रास्ता था, जिसे पैदल ही तय करना होता था, साथ ही इसमें कई दिन लग जाते थे, लेकिन लिपुलेख तक मोटर गाड़ी के लायक सड़क के निर्माण से तीर्थयात्रा अब आसान हो जाएगी. लिपुलेख के आगे भारत-नेपाल-तिब्बत सीमा है और उससे आगे का क्षेत्र नागरिकों के लिए सुलभ नहीं है. यहां से कैलाश पर्वत की झलक देखने को मिलती है.

लगभग 5,945 मीटर ऊंचा आदि कैलाश उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में है. कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश दोनों का मार्ग धारचूला से गुजरता है, लेकिन गुंजी से ये अलग हो जाते हैं. जहां आदि कैलाश भारत में है, वहीं कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है, जिस पर चीन अपना दावा करता है.

Related Articles