Advertisement

उत्तर’ के लिए आज राजधानी में मंथन…

जैन या ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर बनेगी रणनीति

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

‘उत्तर’ के लिए आज राजधानी में मंथन…

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:विधानसभा चुनाव में इस बार उज्जैन उत्तर सीट से उम्मीदवार उतारने को लेकर उलझा पेच आज शाम कुछ साफ होने की संभावना है। राजधानी भोपाल में गुरुवार शाम को संगठन की बैठक में मंथन होगा। फिलहाल, जैन या ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार को सियासी मैदान में उतारने को लेकर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है।

Advertisement

उज्जैन दक्षिण से भाजपा ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को मैदान में उतारकर अपने पत्ते खोल दिए हैं, लेकिन उत्तर सीट, जो अब तक भाजपा का गढ़ बनी हुई है उस पर काबिज बने रहने के लिए पार्टी को काफी मंथन करना पड़ रहा है। वजह यह कि कांग्रेस इस बार ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी में है ताकि भाजपा के गढ़ में सेंध लगाई जा सके। यह रिपोर्ट भाजपा के पास भी पहुंची है।

इस कारण उम्मीदवार का फैसला भी अटका हुआ है। गुरुवार शाम भोपाल में मध्यप्रदेश भाजपा की चुनाव की कमाल संभालने वाले प्रभारी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, हितानंद शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित चुनाव समिति के प्रभारी शामिल होंगे और तय करेंगे कि जैन कार्ड को जारी रखें या उसमें बदलाव किया जाए।

Advertisement

लोकशक्ति में उत्तर-दक्षिण की बैठक

उज्जैन उत्तर और दक्षिण सीट पर चुनाव की रणनीति बनाने के लिए गुरुवार सुबह 11 बजे से बैठक का सिलसिला शुरू हो गया है। इसमें कार्यकर्ताओं से चर्चा कर तैयारी की जाएगी।

बडऩगर सीट बनेगी निर्णायक

उज्जैन उत्तर क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के चयन में बडऩगर सीट की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सूत्रों की मानें तो बडऩगर से अगर ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट देने का निर्णय लिया गया तो उत्तर क्षेत्र के माध्यम से राजनीतिक संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी। इस मुद्दे पर भी पार्टी की आज होने वाली बैठक में निर्णायक चर्चा की जाएगी। हालांकि उम्मीदवार की घोषणा 16 या 17 अक्टूबर के आसपास संभावित मानी जा रही है। तब तक कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा भी हो सकती है। इससे पार्टी को निर्णय लेने में आसानी होगी। इस सीट से टिकट चाहने वालों की कतार अधिक है। इस कारण फैसले में कोई चूक भारी पड़ सकती है।

परशुराम कल्याण बोर्ड को बनाया ‘अस्त्र’

भाजपा ने ब्राह्मण समाज की नाराजी को दूर करने के लिए परशुराम कल्याण बोर्ड को भी अपना अस्त्र बना लिया है। इसमें सदस्य के तौर पर समाज के नेताओं को नियुक्त किया जाएगा। टिकट के लिए दौड़ धूप कर रहे सदस्यों को यह लॉलीपॉप भी दिया जा रहा है कि चुनाव बाद उनकी नियुक्ति कर दी जाएगी। शर्त यह रखी जा रही है कि वे दावेदारी न करें या टिकट वितरण के बाद नाराजी न जताएं।

Related Articles