शिप्रा के दूषित और बदबूदार पानी में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान, शाम को होगा दीपदान…

लोगों ने कहा… धार्मिक महत्व इसलिए कर रहे हैं नदी में स्नान, बाहर फिर नहा लेंगे
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर हजारों लोगों ने पर्व स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। हालांकि पानी दूषित और बदबूदार था इस पर लोगों ने कहा कि धार्मिक महत्व है इसलिये स्नान कर रहे, धर्मशाला में फिर से नहा लेंगे।
शिप्रा नदी में खान का दूषित पानी मिल रहा है। इसी पानी से बड़े पुल के पास कुछ दिनों पहले मछलियां मर गई थीं। अफसरों ने गऊघाट पाले का गेट खोलकर खान का दूषित पानी बहाने का निर्णय लिया तो रामघाट स्थित छोटी रपट डूब गई और नदी में पानी का लेवल भी बढ़ गया। इसी दूषित पानी में आज हजारों लोगों ने कार्तिक पूर्णिमा का पर्व स्नान किया। लोगों ने कहा कि धार्मिक महत्व के चलते नदी में स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है। पानी से बदबू तो आ रही है अब धर्मशाला लौटकर फिर से नहा लेंगे।
घाटों की सफाई भी नहीं हुई
नदी के घाटों पर सफाई नहीं होने से जगह-जगह कचरे के ढेर थे। सुबह 9 बजे सफाईकर्मी भीड़ के बीच सफाई करने पहुंचे। शाम को इन्हीं घाटों पर दीपदान होगा।
उज्जैन। वैकुंठ चतुर्दशी पर रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा तट स्थित के सिद्धवट घाट पर पहुंचे। श्रद्धालुओं ने शिप्रा में डुबकी लगा कर अपने पितरों के निमित्त तर्पण-पिंडदान किया। भगवान सिद्धवट को दूध अर्पित करने वाले श्रद्धालुओं की लंबी कतार थी। कार्तिक मास की वैकुंठ चतुर्दशी पर शिप्रा स्नान व पितरों के निमित्त कर्मकांड का विशेष महत्व है। इसी मान्यता के चलते हजारों श्रद्धालु सिद्धवट पहुंचे। शिप्रा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने सिद्धवट घाट पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान करने के बाद भगवान सिद्धवट को दूध अर्पित किया।










