पांच माह पहले डॉक्टर इस्तीफा दे गईं, शाम को क्लिनिक बन जाता है शराबियों का अड्डा…

By AV NEWS

नर्सों के भरोसे चल रहा जूना सोमवारिया का संजीवनी क्लिनिक

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन केन्द्र व राज्य शासन आमजन के स्वास्थ्य की सुविधा के लिये कितने ही संसाधन जुटा ले, लेकिन कुछ अफसर शासन की योजनाओं को पलिता लगाने में कोई कसर नहीं छोड रहे। इसका उदाहरण है जूना सोमवारिया का मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक जहां मरीजों का उपचार नर्सों द्वारा किया जा रहा है।

शासन द्वारा मामूली बीमारियों के तुरंत उपचार के लिये शहर के विभिन्न वार्डों में संजीवनी क्लिनिक प्रारंभ किये गये हैं। इन क्लिनिक पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉक्टर सहित नर्स, ड्रेसर, फार्मासिस्ट आदि की भी नियुक्ति की जाती है, लेकिन अधिकांश संजीवनी क्लिनिक इन दिनों स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि जूना सोमवारिया स्थित संजीवनी क्लिनिक में मेल व फिमेल नर्स द्वारा मरीजों का ओपीडी में उपचार किया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां जिस डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग द्वारा पदस्थ किया गया था वह सितम्बर माह में ही इस्तीफा देकर जा चुकी हैं। संजीवनी क्लिनिक का भवन नगर निगम के अंडर में है और इसके उपर धर्मशाला भी संचालित होती है।

60-65 मरीज प्रतिदिन कराते हैं उपचार

इस संजीवनी क्लिनिक में प्रतिदिन 60-65 मरीज ओपीडी में उपचार कराने आते हैं। इनमें अधिकांश मरीज वायरल फीवर, बुखार आदि के होते हैं जिनमें बच्चों की संख्या अधिक होती है। यहां पर मरीजों को बाटल लगाने की सुविधा के साथ ही दवा वितरण भी किया जाता है, लेकिन 5 माह से डॉक्टर नहीं होने के कारण फिलहाल ओपीडी की जिम्मेदारी मेल व फिमेल नर्स द्वारा संभाली जा रही है।

यह स्टाफ संभाल रहा क्लिनिक

जूना सोमवारिया स्थित मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक में फिलहाल रवि यादव मेल नर्स, पूजा चैहान स्टाफ नर्स, कृतिका कम्प्यूटर ऑपरेटर हैं। एक भृत्य भी यहां पदस्थ है। क्लिनिक खुलने का समय सुबह 9 से शाम 5 बजे तक निर्धारित है बीच में 1.15 से 2 बजे के बीच लंच टाइम रहता है। अक्षर विश्व की टीम गुरूवार सुबह 10 बजे यहां पहुंची तब तक क्लिनिक के ताले नहीं खुले थे।

बाउण्ड्री कूदकर आ जाते हैं नशेडी

जूना सोमवारिया संजीवनी क्लिनिक शाम को 5 बजे बंद हो जाता है। इसके बाद यहां देखरेख के लिये कोई चैकीदार नहीं है। इसी का फायदा उठाकर नशेडी क्लिनिक की बाउण्ड्री कूदकर परिसर में शराब, सिगरेट, स्मैक पावडर का नशा करने के लिये बडी संख्या में एकत्रित हो जाते हैं। सुबह क्लिनिक पर आने वाले मरीजों को परिसर में शराब की खाली बोतलें, सिगरेट और गुटखा पाउच के रैपर पडे मिलते हैं।

जूना सोमवारिया संजीवनी क्लिनिक में डॉक्टर इस्तीफा देकर जा चुकी हैं। उनकी जगह नए डॉक्टर को पदस्थ नहीं किया गया है। नर्स द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। डॉक्टर के लिये भोपाल हेड ऑफिस को पत्र लिखा गया है। पिछले दिनों तक आचार संहिता लागू होने के कारण अभी तक डॉक्टर उपलब्ध नहीं हुए थे। अब प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शीघ्र डॉक्टर मिलने की उम्मीद है।
दिलीप वासुनिया, अर्बन प्रोग्राम मैनेजर संजीवनी क्लिनिक

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