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यूडीए के थर्ड क्लास क्लर्क ने अवैध काम कर खूब कमाया लाभ

अफसरों के संरक्षण में गड़बड़ी की ‘प्रवीणता’

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:यूडीए में कूटरचित दस्तावेजों से अवैध काम का मसला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। यूडीए के बाबू द्वारा अफसरों के संरक्षण में जमकर गड़बड़ी की। यूडीए एलपी भार्गव नगर योजना में हुए मकान आवंटन फर्जीवाड़े में दोषियों पर कार्रवाई के लिए अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन ने मोर्चा खोल दिया है।

 

यूडीए में बीते कुछ समय से असफरों की कम और एक बाबू का वर्चस्च हैं। फस्र्ट क्लास अधिकारी से अधिक थर्ड क्लास क्लर्क का वर्चस्व है। यूडीए के थर्ड क्लास क्लर्क प्रवीण गेहलोत को अधिकारियों का खुला सरंक्षण है। अधिकारियों को इस बाबू की अवैध काम की ‘प्रवीणता’ में अपना लाभ मिलता रहा। इस कारण यूडीए में अधिकारी भी इसकी सूनते रहे और इसी की चलती है। शासकीय प्रक्रिया में बड़ी धांधली करने वाले गेहलोत को मौजूदा समय में रजिस्ट्री के अधिकार देकर अधिकारियों ने नियमों की धज्जियां उड़ाई है जबकि यह कार्य संपदा अधिकारी या कार्यालय अधीक्षक स्तर के कर्मी द्वारा किए जाना चाहिए। अधिकारियों ने नियम के खिलाफ ऐसा काम गेहलोत के माध्यम से मिलने वाले अपने लाभ को ध्यान रखकर किया है।

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स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर मकान हड़पा

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम प्राधिकरण में फर्जीवाड़ा कर मकान आवंटित कराया गया था लेकिन इस मामले में अब तक प्राधिकरण ने दोषियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज नहीं करवाया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के संभागीय अध्यक्ष संजय चौबे ने बताया 27 साल पहले ( साल 2015 में) दिवंगत हो चुके सागर जिले के खुरई निवासी स्व. सुदामाप्रसाद अग्रवाल के नाम इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था।

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एलपी भार्गव नगर योजना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोट के ईडब्ल्यूएस भवन क्रमांक 8/9 को कूटरचित दस्तावेजों से आवंटित करा लिया था। प्रकरण में प्राधिकरण के प्रवीण गेहलोत को निलंबित किया गया लेकिन बाद में विभागीय जांच के नाम पर प्रकरण कागजों में दफन हो गया। चौबे ने आरोप लगाया कि प्रवीण गेहलोत ने मिलीभगत व कूटरचना कर इस धांधली को अंजाम दिया था। उक्त भवन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे का होने से लिपिक ने कतिपय लोगों से सांठगांठ कर सागर जिले के ग्राम खुरई निवासी मृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. सुदामाप्रसाद अग्रवाल के नाम पर आवंटित कर दिया। मामला 2015 में तीसरी किश्त जमा होने के दौरान खुला तो तत्कालीन सीईओ शिवेंद्र सिंह ने भवन आवंटित निरस्त कर विभागीय जांच बैठाकर प्रभारी लिपिक प्रवीण गेहलोत को निलंबित कर दिया था,बाद में तत्कालीन अधिकारियों की मेहरबानी से वह बहाल हो गया।

यह था पूरा मामला

गेहलोत ने मृत सेनानी के उज्जैन निवासी नाती आशीष अग्रवाल से सांठगांठ कर उसे योजना के मकान के बारे में बताया। फिर उसने दिवंगत सुदामाप्रसाद अग्रवाल को जीवित नाना बताते हुए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। निविदा में उनके नाम से फॉर्म जमा किया और भवन हथिया लिया।

मामले का खुलासा होने के उपरांत वर्ष 2014 मे जांच समिति के समक्ष आवेदन दिनांक 19-05-2014 को पेश किया कि मेरे नाना का स्वास्थ्य खराब है, कुछ दिन बाद उन्हें समक्ष में हाजिर करवा दूंगा। इससे प्रतीत होता है कि इस प्रकरण में लिपिक गेहलोत के साथ इनकी भी सांठगांठ है। आश्चर्य की बात यह है कि इन लोगों ने दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी अग्रवाल के नाम का फर्जी आय प्रमाण पत्र दिनांक 19-02-2012 को तहसीलदार सुंदरसिंह चौहान के हस्ताक्षर से बनवाकर प्रस्तुत कर दिया। जांच समिति के समक्ष यह भी प्रमाण उपलब्ध था लेकिन इन अहम तथ्यों को बाद में दरकिनार मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

आपराधिक मामला पर दोषियों पर एफआईआर नहीं

चौबे का कहना है कि उक्त प्रकरण आपराधिक श्रेणी व धोखाधड़ी का होकर पुलिस में भेजा जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जांच समिति ने भी बाबू की लापरवाही मानते हुए दोषी ठहराया और बाद में एफआईआर के लिए सिफारिश भी की गई लेकिन मामला पुलिस में नहीं गया। जबकि भवन के एवज में जमा राशि किसी अन्य के खाते से बने डीडी से यूडीए में जमा हुई। मृत हो चुके व्यक्ति के नाम पर शपथ पत्र, उनका फोटो, हस्ताक्षर कर भवन कब्जाने का यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 196, 197, 201, 205, 420, 467, 468, 471, 193 ए 120 अंतर्गत अपराध बनता है।

संरक्षण होने से नहीं होती कार्रवाई

करीब दो साल पहले यूडीए में अनियिमितता करने के कई मामले सामने आने के बाद प्रवीण गेहलोत को निलंबित भी कर दिया गया था। आरटीआई से गड़बड़ी के अनेक मामलों को खुलासा होने पर गेहलोत को यूडीए से निलंबित कर संभागायुक्त कार्यालय में अटैच कर दिया गया था। कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। अधिकारियों का संरक्षण होने से गेहलोत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अफसरों की मिलीभगत चंद दिनों में गेहलोत को गड़बडिय़ों के लिए फिर से यूडीए में पदस्थ कर दिया गया।

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