आर्थिक संकट में नगर सरकार, महापौर ने निगम आयुक्त से कहा…

आय कैसे बढ़ाएंगे, बड़े अफसरों का वेतन रोको 5.50 करोड़ चुंगीकर मिला, 8 करोड़ देना तनख्वाह
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम की आर्थिक तंगहाली को लेकर जनप्रतिनिधियों और अफसरों के बीच अब तकरार बढ़ गई है। हाल ये है कि महापौर मुकेश टटवाल ने निगमायुक्त आशीष पाठक से कहा है कि अब पैसा कहां से लाएंगे, बड़े अफसरों का वेतन रोको और छोटे कर्मचारियों को दो। नगर निगम की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति को लेकर नगर सरकार और अफसरों के बीच तनातनी का दौर भी शुरू हो गया है।

इसकी एक झलक सोमवार को हुई एमआईसी में देखने को मिला। सूत्रों के अनुसार महापौर टटवाल ने निगम आयुक्त और अधिकारियों के सामने सवाल खड़ा किया है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ रहे हैं और स्वच्छता अभियान सहित विभिन्न आयोजनों पर करोड़ों रुपए का भार पड़ रहा है। इस बार सिर्फ साढ़े पांच करोड़ रुपए का चुंगी कर मिला है, जबकि 8 करोड़ रुपए तो तनख्वाह पर ही खर्च हो जाएंगे।
आउटसोर्स कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पा रहे हैं। महापौर ने कहा है कि बिजली बिल जमा कराने के बाद भी 13 करोड़ रुपए काट लिए गए हैं। यही हाल रहा तो पहले छोटे कर्मचारियों को वेतन देंगे फिर बड़े अधिकारियों को। एमआईसी सदस्यों ने भी यह बात रखी कि नगर निगम पर आर्थिक भार ज्यादा पड़ रहा है। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति से राशि लेने का प्रस्ताव भी निगम सदन पारित कर चुका है, लेकिन निगम को एक धेला भी नहीं मिल रहा जबकि शिव ज्योति अर्पणम जैसे आयोजनों में दीपक जलाने के खर्च का भार निगम को उठाना पड़ रहा है। पिछली बार निगम ने 38 करोड़ रुपए बाजार वसूली से जुटाए थे।
आयुक्त से कहा पत्र भेजो…महापौर मुकेश टटवाल ने आयुक्त पाठक से कहा है कि अन्य नगर निगमों की तुलना में उज्जैन नगर निगम पर सालाना निगम पर विभिन्न आयोजनों और गतिविधियों के कारण 20 करोड़ रुपए से अधिक का भार पड़ता है। इसलिए अतिरिक्त राशि की मांग के लिए पत्र तैयार कर शासन को भेजें।
इसलिए उपज रहा असंतोष
स्वच्छता अभियान में रंगाई पुताई का खर्चा निगम को उठाना पड़ रहा।
राहगीरी और डोल ग्यारस जैसे आयोजनों से निगम पर खर्च।
महाकाल की श्रावण और शाही सवारी के दौरान सफाई की जिम्मेदारी।









