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दोहरी व्यवस्था… निगम ने 40 पार्लर टेंडर से ठेके पर दिए, दुग्ध संघ के पास 120 के पॉवर

सांची पार्लरों का सर्वे ही नहीं, निगम में नहीं रिकॉर्ड…

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महापौर और पार्षदों से बड़े साबित हो रहे निगम के अफसर

 

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:देवासगेट पर बिना पार्षद की सहमति के बना सांची पार्लर निगम प्रशासन अब तक हटा नहीं सका है न नोटिस तक जारी किया जा सका है। तीन बत्ती चौराहे पर डॉ. पारस श्रीमाल के क्लीनिक के बाहर स्थापित पार्लर भी वहीं स्थापित है। मनमर्जी के इस राज के बीच चौंकाने वाली बात यह है कि शहर में कितने सांची पार्लर हैं, इसका न निगम ने कभी सर्वे किया न उसके पास रिकॉर्ड है।

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शहर में मनमर्जी से सांची पार्लर लगाने पर अंकुश लगाने में निगम प्रशासन पंगु साबित हो रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि तीन बत्ती चौराहे के पास संस्कृति प्लाजा के बाहर मेन गेट के पास ही किसी ने सांची पार्लर लगा दिया। यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रीमाल ने इसकी शिकायत नगर निगम के अधिकारी, पुलिस और निगम के जोन में भी कर दी लेकिन किसी की मजाल नहीं कि उसे हटा सके। पूरा प्रशासन इस मनमर्जी पर नतमस्तक क्यों है? यह बात डॉ. श्रीमाल सहित आम लोगों के मन में उठ रही। दूसरा उदाहरण देवासगेट बस स्टैंड के सामने अन्नपूर्णा माता मंदिर के पास पार्षद की अनुमति के बिना ही सांची मिल्क पार्लर स्थापित कर लिया गया। एमआईसी की बैठक में महापौर मुकेश टटवाल स्वयं निगम आयुक्त आशीष पाठक को इस पर आपत्ति दर्ज करा चुके, लेकिन आज भी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी।

आज तक सर्वे नहीं हो सका

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नगर निगम के पास कर्मचारियों की बड़ी फौज है, लेकिन सांची पार्लर शहर में कितने हैं, इसका कोई सर्वे नहीं। एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है। इस कारण पार्लर की संख्या आदि का रिकॉर्ड भी नहीं है। निगम ने किसी समय में शहर में पार्षदों की सहमति से 48 पार्लर देने के टेंडर निकाले थे। इनमें से 12 के टेंडर होना बाकी है। तब निगम को इन्हें ठेके पर देने से 1 करोड़ रुपए की आय हुई थी। ये 10 साल की लीज पर दिए गए थे। दुग्ध संघ ने 120 स्थान तय किए थे। ये पार्लर संघ द्वारा ही आवंटित किए जाते हैं। संघ इसके बदले में राशि देता है। संघ किसे और कैसे देता है, इसका भी रिकॉर्ड अभी साफ नहीं है।

अन्य सामग्री पर किराया ज्यादा

दुग्ध संघ में तय हुआ था कि केवल मिल्क प्रोडक्ट बेचने वालों से सिर्फ 4 हजार रुपए मासिक किराया लिया जाएगा, अन्य किराना सामग्री बेचने वालों से 6 हजार रुपए लिए जाएंगे। नगर निगम बोर्ड ने तय किया था कि जमीन की कीमत 6 लाख तक होने पर 6 हजार रुपए मासिक किराया ही लिया जाएगा लेकिन जमीन की कीमत 6 लाख रुपए से ज्यादा होने पर से 1 फीसदी की दर से किराया लिया जाएगा। यानी 10 लाख रुपए की जमीन होने पर निगम को 10 हजार रुपए मासिक किराया मिलेगा। सर्वे नहीं होने से नियमानुसार किराया लिया जा रहा या नहीं, इसकी स्थिति भी अस्पष्ट है।

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