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शिवरात्रि: शिप्रा में फिर लाना होगा नर्मदा का पानी

कान्ह का पानी नहीं रोका तो दूषित पानी में ही श्रद्धालुओं को लगाना होगी डुबकी

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन एक माह पहले ही जल संसाधन और पीएचई विभाग के अफसरों ने बड़ी मशक्कत के बाद शिप्रा नदी में नर्मदा का साफ पानी स्टोर किया था जिसके बाद लोगों ने शिप्रा नदी में मकर संक्रांति का पर्व स्नान किया था इसके बाद ही त्रिवेणी स्थित कान्ह पर बनाया गया मिट्टी का अस्थायी स्टापडेम टूट गया और अब शिप्रा में फिर कान्ह का दूषित पानी एकत्रित हो चुका है ऐसे में शिवरात्रि पर्व स्नान के लिये अफसरों को रामघाट पर नर्मदा का पानी लाना पड़ेगा।

 

ऐसे लाये थे नर्मदा का पानी

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कलेक्टर नीरज कुमार सिंह द्वारा शिप्रा नदी का जल संसाधन और पीएचई अफसरों के साथ निरीक्षण करने के बाद नर्मदा विकास प्राधिकरण को पाइप लाइन के माध्यम से शिप्रा नदी में पानी छोडऩे के लिये पत्र लिखा था। इधर जल संसाधन विभाग द्वारा शिप्रा में मिल रहे कान्ह के दूषित पानी को रोकने के लिये त्रिवेणी पर मिट्टी का अस्थायी स्टापडेम बनवाया। पीएचई विभाग द्वारा नदी में पहले से स्टोर कान्ह के दूषित पानी को बड़े पुल के पास स्थित स्टापडेम के गेट खोलकर आगे बहाया गया और पर्व स्नान के कुछ दिन पहले पाइप लाइन के माध्यम से त्रिवेणी पाले के पास से नर्मदा का पानी शिप्रा नदी में छोडऩा शुरू किया गया। यह पानी मकर संक्रांति पर्व तक रामघाट पर स्टोर किया गया था।

पूरी क्षमता से नहीं चलता कान्ह डायवर्शन

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सिंहस्थ महापर्व 2016 के पहले राज्य शासन द्वारा करीब 100 करोड़ की लागत से कान्ह डायवर्शन योजना पूर्ण की थी। उस दौरान जल संसाधन विभाग का तर्क था कि अब कभी शिप्रा नदी में कान्ह का दूषित पानी नहीं मिलेगा लेकिन डायवर्शन योजना फैल होने और पाइप लाइन में कचरा गाद आदि जमा होने के कारण डायवर्शन की लाइन पूरी क्षमता से नहीं चलती और यही कारण है कि कान्ह का दूषित पानी त्रिवेणी तक पहुंचकर शिप्रा नदी में मिलता है।

स्थायी समाधान जरूरी: कान्ह के पानी को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिये स्थायी समाधान जरूरी है जिसके लिये मुख्यमंत्री भी अफसरों को निर्देशित कर चुके हैं वहीं दूसरी और मार्च माह में आने वाले शिवरात्रि महापर्व पर श्रद्धालुओं को साफ पानी में स्नान कराना जल संसाधन व पीएचई विभाग के अफसरों के लिये चुनौती साबित होगा क्योंकि वर्तमान में त्रिवेणी स्थित कान्ह पर बना मिट्टी का स्टापडेम टूट चुका है जिसका दूषित पानी शिप्रा नदी के रामघाट तक बह रहा है।

ऐसी स्थिति में मिट्टी के स्टापडेम को फिर से बनाना फिर नदी को खाली कर उसमें नर्मदा का साफ पानी स्टोर करना अफसरों के लिये चुनौती साबित होगा।

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