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बड़े पुल के पास स्टॉपडेम के 11 गेट खोलकर शिप्रा से बहाया जा रहा कान्ह का दूषित पानी

रामघाट से आगे नदी में मिल रहा नाला, पाइप लाइन की चाबी में पत्थर डाल दिया

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन त्रिवेणी से लेकर सिद्धनाथ तक शिप्रा नदी में कान्ह का दूषित पानी स्टोर है, पानी इतना दूषित है कि इसमें मछलियां मर रही हैं। पीएचई द्वारा फिर से दूषित पानी बहाकर नर्मदा का साफ पानी गऊघाट से रामघाट तक स्टोर करने की कवायद शुरू की गई है। इसी के चलते बड़े पुल के पास स्थित स्टॉपडेम के 11 गेट खोलकर नदी में स्टोर पानी को आगे बहाया जा रहा है।

 

अफसरों का ध्यान सिर्फ रामघाट पर

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त्रिवेणी से लेकर शिप्रा नदी के किनारे गऊघाट, भूखी माता घाट, नृसिंह घाट, रामघाट, सुनहरी घाट, ऋण मुक्तेश्वर घाट, गंगा घाट, मंगलनाथ घाट, सिद्धनाथ घाट स्थित हैं जहां प्रतिदिन लोग नदी में स्नान करने पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासनिक अफसरों का ध्यान सिर्फ रामघाट पर केन्द्रित रहता है क्योंकि देश भर से आने वाले लोग शिप्रा नदी के रामघाट बड़ी संख्या में पहुंचकर स्नान, पूजन, कर्मकांड करते हैं। इसके बाद सिद्धनाथ घाट पर कर्मकांड होता है। अफसर रामघाट पर साफ पानी स्टोर करने की कवायद करते हैं और इससे आगे के घाटों पर कान्ह का दूषित पानी ही स्टोर रहता है।

पानी इतना दूषित कि बन रहे झाग

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कान्ह का पानी सीवरेज और केमिकल से इतना दूषित है कि इसे स्टापडेम से तेजी से बहाने पर पानी में झाग बन रहे हैं। इसी स्टापडेम के आगे रूद्रसागर के पास से आने वाले नाले के पानी की लाइन भी है। पाइप लाइन के पाइंट को किसी ने चाबी से खोल दिया है जिस कारण नाले का पानी कान्ह के दूषित पानी में मिलकर आगे की ओर बह रहा है। खास बात यह कि पाइप लाइन के बीच बने चाबी के पाइंट में किसी ने पत्थर डाल दिया है और अब नाले का दूषित पानी भी शिप्रा नदी में सीधे मिल रहा है।

भावनाएं हो रही आहत

स्टापडेम के पास स्थित घाट पर स्नान कर रहे पप्पू सिंह निवासी जूना सोमवारिया ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के कारण शिप्रा नदी में कान्ह का पानी स्टोर हो रहा है जिसमें मछलियां मर रही है। इस पानी को बार-बार बहाकर नर्मदा का पानी स्टोर किया जाता है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो रहा और अब स्थिति यह है कि नगर निगम व पीएचई अफसरों की लापरवाही के कारण नालों का पानी भी सीधे शिप्रा नदी में डाला जा रहा है।

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