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संकट की आहट…गंभीर में अब केवल जून तक का पानी

तेज गर्मी से उड़ रहा डेम का पेयजल के लिए संग्रहित पानी, चैनल कटिंग की तैयारी, पीएचई ने किया सर्वे

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  • 340 एमसीएफटी पानी शेष बचा
  • 420 एमसीएफटी पिछले साल आज की स्थिति
  • 240 एमसीएफटी ही पिलाने योग्य
  • 100 एमसीएफटी पानी डेड स्टोरेज का
  •  6.606 पानी की रोज हो रही खपत

अक्षरविश्व न्यूज . उज्जैन:40 डिग्री की लगातार गर्मी ने पीएचई का पारा भी ऊपर नीचे कर दिया है। पेयजल सप्लाई के लिए गंभीर डेम में जमा पानी भाप बनकर तेजी से उड़ रहा और शहर में खपत भी बढ़ गई है। जून तक ही पीएचई गंभीर का पानी पिला सकेगा। बारिश की खेंच बढ़ी तो संकट खड़ा हो सकता है। इसको देखते हुए पीएचई ने अभी से चैनल कटिंग की तैयारी कर ली है ताकि डेम में पानी का लेवल बढ़ाया जा सके। बडऩगर रोड पर बन रहे पुल के कारण गंभीर नदी के पानी की आवक रोकने वाले अवरोधों भी हटाने पर जोर दिया जा रहा है।

 

पूरे उज्जैन शहर की प्यास बुझाने वाले गंभीर डेम में अब केवल 340 एमसीएफटी पानी शेष बचा है। इसमें से सौ एमसीएफटी पानी डेड स्टोरेज का है। यानी इस पानी को पीने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। बारिश में डेम पूरी क्षमता (2250 एमसीएफटी) से भर गया था। अब तक 1910 एमसीएफटी पानी खत्म हो चुका है। अब केवल 340 एमसीएफटी ही शेष होने की स्थिति ने पीएचई की नींद उड़ा दी है। पीएचई प्रशासन चैनल कटिंग कर डेम का लेवल कुछ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। एक दो दिन में यह काम करने की तैयारी की जा रही है।

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जुलाई में हो सकता संकट

जुलाई में अगर बारिश नहीं हुई तो शहर में जलसंकट की स्थिति बन सकती है। ऐसे में पूरा दारोमदार नर्मदा के पानी पर रहेगा। गऊघाट तक सीधे नर्मदा का पानी पहुंचाने की लाइन भी अभी जुड़ नहीं सकी है। यह काम अभी लंबित है। पीछे साल यह काम शुरू किया गया था, लेकिन तकनीकी अड़चन के कारण यह काम भी नहीं हो सका।

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पुल निर्माण से रुका पानी

बडऩगर रोड पर पुल निर्माण के कारण भी गंभीर नदी का पानी डेम तक पूरी क्षमता से जा नहीं पा रहा। शुक्रवार को पीएचई ने इसका भी निरीक्षण कर पुल और रोड बनाने वाली कंपनी पर पानी का बहाव रोकने वाली मिट्टी हटाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे कि डेम में पानी आ सके।

फिर नर्मदा का पानी लाने की तैयारी

शिप्रा नदी में एक बार फिर नर्मदा का पानी लाने की तैयारी हो गई है। शिप्रा में जमा प्रदूषित पानी खाली होने के बाद नर्मदा का पानी छोड़ा जाएगा। प्रशासन को गाद साफ कराने पर भी ध्यान देना होगा, गाद से नर्मदा का पानी भी दूषित हो जाता है। गाद साफ होने के कारण शिप्रा का पानी भी फिल्टर करने के बाद पेयजल के रूप में उपयोग लिया जा सकता है।

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