कई माता-पिता इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर भेजें या नहीं। यह सफर हमारे जीवन में कई बदलाव लाता है। यह भावनात्मक रूप से एक झूले की तरह होता है जिसमें उत्साह, चिंता और अपार विकास के अवसर होते हैं। अपने बच्चे को दूर भेजना आसान काम नहीं होता है बल्कि इसके लिए बहुत सारा भरोसा, साहस और गहन शोध की जरूरत होती है।
कई पेरेंट्स अपने बच्चे को पढ़ाई या नौकरी के लिए घर से दूर भेज देते हैं। कभी-कभी तो यह काफी सुहावना लगता है लेकिन इसके साथ परेशानियां भी हैं। इसमें अवसर हैं, तो बच्चे को लेकर डर भी बना रहता है। ऐसे में एक भरोसा ही है जिसके दम पर पेरेंट्स अपने बच्चे को अपने आप से और घर से इतना दूर भेज देते हैं।
क्या होता है भरोसा करने का फायदा
आप अपने बच्चे के विदेश में पढ़ाई करने के फैसले पर भरोसा करते हैं और उनके निर्णय पर विश्वास जताते हैं। इससे बच्चे अपनी जर्नी में अधिक आत्मविश्वास और सशक्त महसूस करते हैं। माता-पिता को समझना चाहिए कि उनका डर बच्चे के उत्साह को कम न करे और उन्हें यह साहसिक कदम उठाने दें।
बच्चे के निर्णय पर विश्वास जताना
बच्चे के निर्णय पर विश्वास जताना और उन्हें बताना कि आप उस पर भरोसा करते हैं, उनके आत्मविश्वास और सशक्तिकरण में बड़ा योगदान दे सकता है। इससे आप अपने बच्चे को अनंत अवसरों के सागर में डुबकी लगाने का मौका देते हैं।
बच्चे की च्वॉइस
हो सकता है कि आपको अपने बच्चे का विदेश में पढऩे का फैसला पसंद न आए फिर भी आप उनका समर्थन करें। हो सकता है वो ऐसे देश में जाना चाहें, जिसके बारे में आप ज्यादा नहीं जानते हैं या फिर ऐसा कोर्स चुनें जो आपको थोड़ा अजीब लगे। उनके फैसलों को मान्य समझें क्योंकि उन्होंने शायद इस पर काफी सोच-विचार किया होगा। याद रखें, ये उनकी खुद की जिंदगी का सफर है और आपको उनका साथ देना चाहिए।
इमोशनल सपोर्ट
विदेश में पढ़ाई करने का सपना आपके बच्चे के लिए रोमांचक जरूर होगा, लेकिन कभी-कभी थोड़ा डरावना भी हो सकता है। ऐसे में उन्हें आपके भावनात्मक सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उनकी बात सुनने के लिए हमेशा मौजूद रहें, उन्हें प्रोत्साहित करें और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाएं। अपने शब्दों और विश्वास से उनका हौंसला बढ़ाएं।
कनेक्ट रहना
बच्चे का दूर जाना भले ही जरूरी हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप उनका साथ छोड़ दें। उनके साथ जुड़े रहना और मजबूत रिश्ता बनाए रखना जरूरी है। इससे उन्हें दूर रहते हुए भी भावनात्मक सहारा मिलेगा और वो आत्मनिर्भर बनने में सक्षम होंगे। आधुनिक तकनीक ने तो इसे और भी आसान बना दिया है। आप वीडियो कॉल के जरिए उनसे बात कर सकते हैं और उनसे जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। साथ ही, आप उनकी छुट्टियों में उनसे मिलने भी जा सकते हैं।
रिसर्च में साथ देना
बेशक, रिसर्च में आपके बच्चे को ही आगे रहना चाहिए, लेकिन इसमें आपका शामिल होना दोनों के लिए ही राहत का काम कर सकता है। आप उनके साथ कॉलेजों, प्रोग्रामों और जगहों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपको पता चलेगा कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं, बल्कि आप उन्हें अपना ज्ञान और सलाह भी दे सकते हैं।