श्रावण-भादौ मास के प्रति सोमवार को उज्जैन सीमा के स्कूलों में अवकाश, रविवार को होगी पढ़ाई

By AV NEWS

आ रही है है पालकी जय महाकाल की प्रथम सवारी सोमवार 22 जुलाई को

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी के लिए होने वाले इंतजामों से स्कूली बच्चों का परेशान नहीं होना पड़े इसे ध्यान में रखकर प्रशासन ने श्रावण-भादौ मास के दौरान प्रति सोमवार को उज्जैन नगर निगम सीमा में आने वाले सभी स्कूलों में अवकाश रहेगा। स्कूलों रविवार को अध्यापन कार्य कराया जाएगा। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस संबंध में आदेश जारी किए.

बीते कुछ वर्षों में श्रावण-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। महाकाल-महालोक का निर्माण होने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।

ऐसे में व्यवस्थाओं बनाने के लिए सवारी मार्ग पर बेरिकेट्स लगाए जाते है। दोपहर 4 बजे निकलने वाली सवारी के लिए पूर्व से ही इंतजाम लगते है।

यही समय स्कूलों की बसों,अन्य वाहनों का शहर में आने और बच्चों के घर लौटने का समय रहता है। स्कूली बच्चों को परेशानी कर सामना नहीं करना पड़े,इसलिए प्रशासन द्वारा गत वर्ष से श्रावण-भादौ मास के सोमवार को स्कूलों में अवकाश रखने का निर्णय लिया था। इस वर्ष भी इसी तरह सोमवार को अवकाश रहेगा। कलेक्टर सिंह ने कहा इस संबंध में आदेश जारी किए जा रहे है।

सात सवारियां निकलेंगी

श्रावण-भादौ मास में भगवान श्री महाकाल सात सवारियां निकलेंगी। श्रावण मास की प्रथम सवारी 22 जुलाई को निकाली जायेगी। भादौ मास में भगवान महाकाल की शाही सवारी 2 सितम्बर को निकाली जायेगी। श्रावण मास में पांच सवारी एवं भादौ मास में दो सवारी निकलेगी।

श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में प्रथम सवारी सोमवार 22 जुलाई, द्वितीय सवारी सोमवार 29 जुलाई, तृतीय सवारी सोमवार 5 अगस्त, चतुर्थ सवारी सोमवार 12 अगस्त, पंचम सवारी सोमवार 19 अगस्त को श्रावण मास में निकाली जायेगी। इसी तरह भादौ मास में षष्टम सवारी सोमवार 26 अगस्त तथा शाही सवारी सोमवार 2 सितम्बर को निकाली जायेगी।

विभागों को जिम्मेदारी

भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारियों एवं शाही सवारी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति आदि के समन्वय स्थापित कर निकाय स्तर की विभिन्न आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित किये जाने के लिये आयुक्त नगर निगम ने नगर निगम निकाय के अधिकारी-कर्मचारियों को अपने वर्तमान कार्य के साथ-साथ अलग-अलग विभिन्न दायित्वों के निर्वहन के लिये कार्य सौंपे हैं।

भजन मंडलियों को अलग-अलग रंग पास

भगवान महाकाल की सवारियों के संबंध में प्रशासनिक संकुल भवन में कलेक्टर उज्जैन श्री नीरज कुमार सिंह की उपस्थिति में भजन मंडलियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में अधिकारियों द्वारा भजन मंडलियों के साथ बाबा महाकाल की सवारी के सुव्यवस्थित संचालन और श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक दर्शन के संबंध में चर्चा की गई।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक मृणाल मीणा ने बताया कि भजन मंडलियों के सुचारू संचालन और अनधिकृत प्रवेश पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्येक भजन मंडली को अलग-अलग कलर के पास दिए जाएंगे।

प्रशासक मीना ने बताया कि इस बार संस्कृति विभाग के माध्यम से जनजातीय कलाकारों का दल भी बाबा महाकाल की सवारी में अपनी प्रस्तुति देगा। बैठक में भजन मंडलियों द्वारा भी व्यवस्थित आयोजन के संबंध में सुझाव दिए गए। बैठक में अपर कलेक्टर अनुकूल जैन, एसडीएम एल एन गर्ग, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल तथा भक्त मंडली के प्रतिनिधि शामिल हुए।

भस्म आरती के समय में परिवर्तन रहेगा

श्रावण-भादौ मास में प्रतिदिन भगवान श्री महाकालेश्वर की भस्म आरती 22 जुलाई से 2 सितम्बर तक प्रात: कालीन पट खुलने का समय प्रात: 3 बजे होगा। प्रत्येक सोमवार को भस्म आरती का समय प्रात: 2.30 बजे होगा। भस्म आरती प्रतिदिन प्रात : 3 से 5 बजे तक और प्रत्येक सोमवार को 2.30 से 4.30 बजे तक होगी। इसी तरह 3 सितम्बर से पट खुलने का समय पूर्ववत होगा। श्रावण-भादौ मास में भस्म आरती में श्रद्धालुओं की संख्या कम की जाकर कार्तिकेय मण्डपम की अन्तिम तीन पंक्तियों से श्रद्धालुओं के लिये चलित भस्म आरती दर्शन की व्यवस्था रहेगी।

महाकाल मंदिर में भीड़ प्रबंधन पर ध्यान देना जरूरी

उज्जैन। श्रावण मास में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ मंदिरों में होती है वहीं देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर ही ऐसा मंदिर है जहाँ तड़के भस्म आरती होती हैं। भस्म आरती में प्रति दिवस हजारों की तादात में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर परिसर में पूर्व में हुए हादसों को ध्यान में रखकर भीड़ प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है। महाकाल मंदिर परिसर में 15 जुलाई 1996 को सोमवती अमावस्या पर हादसे में 38 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। न्यायमूर्ति आरके वर्मा को जांच आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। दुर्घटना की जांच न्यायमूर्ति आरके वर्मा द्वारा की गई थी। वर्मा जांच आयोग ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट किया था कि मंदिर में भीड़ प्रबंधन के उचित इंतजाम करने के साथ इस बात का ध्यान रखा जाए कि श्रद्धालुओं को किसी भी स्थिति में एक स्थान पर नहीं रोका जाए।

बता दें कि 15 जुलाई 1996 सोमवती अमावस्या के दिन तत्कालीन संभागायुक्त पीएस तोमर मंदिर में दर्शन करने आए थे। तब अन्य श्रद्धालुओं को एक स्थान पर रोके जाने के कारण मंदिर की व्यवस्था बिगड़ी थी। धक्का-मुक्की एवं दर्शनार्थियों के अत्यधिक भीड़ होने के कारण राम मंदिर स्थित रेम्प पर भगदड़ मचने से गंभीर हादसा हो गया था। हाल के वर्षों में कुछ हादसे हुए है। मंदिर दर्शन के दौरान कई बार अव्यवस्था होती है, उसके बावजूद भी मंदिर प्रशासन के द्वारा भस्म आरती एवं दर्शन के अचित इंतजाम नहीं हो पाते है। उक्त मुद्दा बैठक तक ही सीमित रह जाता है और उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। मंदिर में स्थायी प्रशासक,दो सहायक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति होना चाहिए। मंदिर में अलग-अलग अधिकारी की ड्यूटी रहे ताकि मंदिर में अव्यवस्था नहीं हो।– द्वारकाधीश चौधरी

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