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महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा प्रभु श्रीराम के जीवन पर आयोजित परिचर्चा में हुआ गहन विचार मंथन

मुंबई, 20 अगस्त। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी- मुंबई, पंजाब सेवा समाज और पंजाब सेवा समिति- नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में प्रभु श्रीराम के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर परिचर्चा का सफल आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में प्रभु श्री राम के जीवन को सामाजिक सहृदयता का अनुकरणीय उदाहरण बताते हुए उनके विविध प्रसंगों पर गहन विचार मंथन किया गया।

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वर्धमान नगर, नागपुर स्थित प्रीतम नगर में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नागपुर की पूर्व महापौर डाॅ. कल्पना पांडे ने की, जबकि मुख्य मार्गदर्शक के रूप में राष्ट्रीय सम्मान से पुरस्कृत वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. वेदप्रकाश मिश्रा उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि के रूप में आकाशवाणी, मुंबई के पूर्व उद्घोषक एवं महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य आनंद प्रकाश सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारम्भ रामचरित मानस के पूजन और दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। संयोजक डॉ. विजेंद्र बत्रा ने प्रस्तावना रखते हुए अकादमी के कार्यकलापों की जानकारी दी।

उन्होंने आज़ादी के उपरांत पाकिस्तान से नागपुर में आये पंजाबियों की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि वे जहाॅं बसे, वहीं रच-बस गये और समाज सेवा की अद्भुत मिसाल कायम की। उन्होंने बताया कि इस समाज के लोगों ने दशहरा, नवरात्रि और लंगर जैसे कार्यक्रमों से हमेशा सेवा कार्य जारी रखे हैं और अब सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इस अवसर पर नागपुर के पंजाबी समाज के सुप्रसिद्ध स्नायु तंत्र विशेषज्ञ डाॅ. ध्रुव बत्रा और ह्रदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. मनीष जुनेजा का सत्कार किया गया।

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मुख्य मार्गदर्शक डाॅ. वेदप्रकाश मिश्रा ने प्रभु श्रीराम द्वारा अहिल्या के उध्दार के माध्यम से नारी समाज की वेदना की अनुभूति और उनका उत्थान करने तथा केवट प्रसंग के माध्यम से दुर्बल घटकों में सामाजिक समानता एवं सहृदयता का प्रसार करने की चर्चा की। उन्होंने प्रभु श्रीराम द्वारा शिव धनुष को तोड़कर महर्षि विश्वामित्र, परशुराम और राजा जनक के घमंड का मर्दन करने तथा अनुकरणीय बनने की रोचक व्याख्या प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि आनंद सिंह ने प्रभु श्रीराम के राज्य को सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र का उदाहरण बताया, जहाॅं प्रत्येक नागरिक निर्भयता से अपनी बात राजा के समक्ष कर सकता था एवं राजा उसकी शिकायत दूर करते थे। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. कल्पना पांडे ने रानी कैकई के चरित्र के उजले पक्ष की विवेचना की।

कार्यक्रम के आयोजन में पंजाब सेवा समिति के प्रमुख सुशील झाम, रतन मदान, पंजाबी समाज के अध्यक्ष ओमप्रकाश मदान और सचिव तिलकराज शर्मा ने बहुमूल्य योगदान दिया। इसी प्रकार कार्यक्रम की सफलता में रघुनन्दन पुनयानी, बाबू शर्मा, महेश कुकडेजा, अनिल, राहुल, अजय, देवीदित्ता पुनयानी, हरीश सिडाना, सतीश चचडा, सरला मदान, चंद्रलेखा शर्मा, रुचि बत्रा एवं पंजाबी महिला समिति और पंजाबी युवा मंच के सभी सदस्यों ने सराहनीय भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य और संयोजक डाॅ. विजेंद्र बत्रा ने किया। आभार प्रदर्शन डाॅ. कविता जाधव द्वारा किया गया। राष्ट्र गान के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ।

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