पालकी पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए, केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने पूजन-अर्चन कर झांझ बजाया

राजसी वैभव के साथ निकली भगवान श्री महाकाल की सवारी
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी के क्रम सोमवार को प्रमुख सवारी राजसी वैभव के साथ निकाली गई। श्रद्धालुओं के अपार सैलाब के चलते प्रशासन-पुलिस को व्यवस्था बनाने में खासी मशक्कत करना पड़ी।
भगवान महाकाल की प्रमुख सवारी में गाजे-बाजे और भजन मंडलियों के साथ भगवान महाकाल 6 स्वरूपों शामिल हुए। शिप्रा किनारे पूजन के दौरान पालकी पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए।

भगवान महाकाल की सवारी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे युवराज महाआर्यमन के साथ शामिल हुए। उन्होंने सत्यनारायण मंदिर के पास पालकी में सवार भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया। इस दौरान सिंधिया ने झांझ और बेटे ने डमरू बजाया। शाही सवारी में भगवान महाकाल चंद्रमौलेश्वर, शिवतांडव, उमा-महेश, होलकर स्टेट का मुखारबिंद, घटाटोप मुखौटा, सप्तधान मुखारबिंद और मनमहेश स्वरूप में दर्शन दे रहे थे।
प्रमुख सवारी के 7 किमी लंबे मार्ग पर 70 भजन मंडलियां लोकनृत्य और भजन गाते हुए चल रही थीं। डिंडौरी और अनूपपुर का जनजातीय समूह ने भी सवारी में सहभागिता की। सवारी में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन, यातायात पुलिस, तोपची, चांदी का ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल, स्काउट – गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड, 70 भजन मंडलियां, साधु-संत, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड, मंदिर के पुजारी-पुरोहित चल रहे हैं।
इसके बाद भगवान चंद्रमौलेश्वर की प्रमुख पालकी, भारत बैंड के साथ गरुड़ पर शिवतांडव स्वरूप, रमेश बैंड के साथ नंदी रथ पर उमा-महेश स्वरूप, गणेश बैंड के साथ रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारबिंद स्वरूप, आरके बैंड के साथ रथ पर घटाटोप मुखौटा स्वरूप, रथ पर सप्तधान मुखारबिंद स्वरूप, राजकमल बैंड के साथ हाथी पर मनमहेश स्वरूप में दर्शन देने निकले हैं।
गुदुम बाजा लोक नर्तक दल
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल ने भी सहभागिता की। शाही सवारी में मध्यप्रदेश के लालपुर, डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा लोक नर्तक दल दिनेश कुमार भार्वे के नेतृत्व में अपनी प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे। प्रशासन ने सवारी को रात 10 बजे तक मंदिर में पहुंचाने और दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ का प्रबंधन करने व सुरक्षा को लेकर व्यापक कर रखी थी।








