उज्जैन में कैंसर से लड़ाई लड़ रही शिक्षिका ने कर दिखाया कमाल, राज्यपाल पुरस्कार से होंगी सम्मानित

शिक्षा के लिए जंग… छुट्टी पर हूं लेकिन बच्चों को पढ़ाने आऊंगी
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अब तमन्ना… हफ्ते में एक दिन गांव जाकर बच्चों को पढ़ाना

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। कैंसर से जंग लडऩे के साथ सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के लिए जंग लडऩे का जज्बा देखना हो तो उज्जैन की शिक्षिका ज्योति तिवारी इस मामले में एक मिसाल हैं। बीमारी के कारण छुट्टी मिली पर तिवारी ने प्रिंसिपल के सामने शर्त रखी कि दो घंटे बच्चों को रोज पढ़ाने जरूर आऊंगी। तिवारी को राज्यपाल पुरस्कार के लिए चुना गया है। अब उनकी तमन्ना है हफ्ते में एक दिन गांव में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाऊं।
सरकारी स्कूल के शिक्षक गांव में बच्चों को पढ़ाने से बचते हैं, लेकिन शासकीय कन्या उमावि की शिक्षिका ज्योति तिवारी की इच्छा है कि सप्ताह में एक दिन किसी गांव में जाकर पढ़ाया जाए। तिवारी ने ‘अक्षरविश्व’ को बताया अगर उन्हें गांव जाने की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो वे यह काम अवश्य करेंगी।
पिछले पांच सालों से वे कैंसर से जूझ रही हैं। 2019 से वे कैंसर से पीडि़त हैं फिर भी चाहती हैं कि गांवों में विद्यार्थियों को साइंस पढ़ाया जाए। ढाई साल पहले जब वे सराफा कन्या उमावि में आईं तो लैब बंद सी पड़ी थी।
प्रिंसिपल मुकेश त्रिवेदी खुद इससे परेशान थे, लेकिन तिवारी ने लैब को संवारा और आज वह उत्कृष्ट स्कूल के स्तर की हो गई है।
जब विद्यार्थी फ्री होते हैं तो उन्हें लैब की चाबी थमा देती हैं और बेकार चीजों से विज्ञान के मॉडल बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। नानाखेड़ा में अर्पिता कॉलोनी की निवासी तिवारी ने जीवाजीगंज स्कूल में सबसे पहला विज्ञान क्लब बनाया जो राज्य स्तर पर प्रथम स्थान पर रहा। वे स्टेट लेवल की मास्टर ट्रेनर भी हैं। इन दिनों वे अस्वस्थ हैं और प्रिंसिपल त्रिवेदी ने छुट्टी मंजूर की लेकिन तिवारी ने कहा वे रोज दो घंटे पढ़ाने स्कूल आएंगी। इस कारण दो पीरियड्स लेती हैं। उनके पति डॉ. विवेक तिवारी भी नूतन स्कूल में प्रिंसिपल हैं।
स्कूल में विकसित की नक्षत्र वाटिका
सोमवार शाम करीब पांच बजे तिवारी को राज्यपाल पुरस्कार मिलने की सूचना मिली। तिवारी ने बताया उन्होंने स्कूल परिसर में ही विद्यार्थियों के लिए एक नक्षत्र वाटिका विकसित की हैं, जिसमें सभी के बॉटनीकल नेम भी लिखवाए हैं ताकि विद्यार्थी अपडेट रहें।
दो साल की सीसीएल पर हैं तिवारी
शिक्षिका तिवारी दो साल के लिए चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) पर हैं, लेकिन उन्होंने स्वयं दो घंटे रोज स्कूल आकर पढ़ाने की इच्छा जताई थी। इस कारण उन्हें परमिशन दी गई है और वे विद्यार्थियों को साइंस पढ़ाती हैं। –मुकेश त्रिवेदी, प्रिंसिपल सराफा कन्या उमावि








