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अतिक्रमण नहीं हटाना भारी पड़ गया पांच जिम्मेदारों को, सस्पेंड

कलेक्टर ने जो कहा वह कर दिखाया, कार्रवाई का यह पहला चरण है

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महारावाड़ा की कातिल दीवार ने दो की जान ली, दो को घायल किया और पांच को सस्पेंड करवा दिया।
अक्षर विश्व ने हादसे के दूसरे दिन ही बता दिया था कि यदि सड़क पर पूजा सामग्री बेचने वालों को हटा दिया होता तो दो लोगों की जान नहीं जाती। इस हादसे के पीछे अतिक्रमण और लापरवाही थी। कलेक्टर नीरज सिंह ने उसी दिन कह दिया था कि इंतजार कीजिए, कार्रवाई होगी और उन्होंने इसे कर भी दिखाया।

 

कोई घटना यदि महाकाल मंदिर से जुड़ जाती है तो सुर्खियों बन जाती है। हादसे की यह खबर भी पूरे देश में चर्चा में रही। कलेक्टर नीरज सिंह ने हादसे के कारणों का सूक्ष्म अध्ययन किया और पांच जिम्मेदार ढूंढ निकाले। निगम आयुक्त आशीष पाठक और एसपी प्रदीप शर्मा को निर्देश दिए कि लापरवाहों को सजा दीजिए और हादसे के जिम्मेदार सस्पेंड कर दिए गए। कलेक्टर की कार्रवाई की पूरे महकमे में चर्चा है।

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इस कार्रवाई के मायने क्या?

महाकाल मंदिर में 15 जुलाई 1996 हादसा हुआ था। करीब तीन दर्जन लोगों की तब मौत हुई थी। तब गर्भ गृह में प्रवेश करते समय श्रद्धालु सीढिय़ों से फिसलकर गिर गए थे। दम घुटने से लाशों का अंबार लग गया था। सालों तक जांच चली, सैकड़ों बयान हुए पर तब कोई सस्पेंड नहीं हुआ। 28 सितंबर की शाम को हुए हादसे के बाद पांच लोगों का सस्पेंड होना यह बताता है कि अभी कार्रवाई और होगी। यह प्रथम चरण है।

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इस कार्रवाई के बाद जो नए गैंग प्रभारी और नियंत्रक बनेंगे वे जिम्मेदारी से काम करेंगे। अतिक्रमण नहीं होने देंगे। नए महाकाल थाना प्रभारी और बीट प्रभारी अपने क्षेत्र में दौरा करेंगे। कानून व्यवस्था के साथ अपने क्षेत्र के अतिक्रमण पर भी नजर रखेंगे। महाकाल मंदिर के सुरक्षा अधिकारी अब मुस्तैदी से काम करेंगे।

महाकाल मंदिर के सामने भी देखें

महाकाल मंदिर के सामने अब घर नहीं बचे। घर होटलों, भोजनालयों और दुकानों में तब्दील हो गए हैं। रात में दूध के कढ़ाव लगते हैं। पराठे बनते हैं। पूजा सामग्री बिकती है। थाना प्रभारी को यह देखना होगा होगा कि दस बाई दस की दुकान कितनी लंबी हो गई है। बीच में वाहन खड़े कर दिए जाते हैं नतीजतन, श्रद्धालुओं को आने-जाने में परेशानी होती है। यही स्थिति महाकाल चौराहे की भी है। लोगों का कहना है कि जितनी बड़ी दुकान हो उतने में ही व्यापार होना चाहिए। कलेक्टर से मांग की गई है कि वे इसे देखें।

अतिक्रमण देखना टीआई की जिम्मेदारी

इस संबंध में एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा कि थानाप्रभारी और बीट प्रभारी की जिम्मेदारी थी कि वह अपने क्षेत्र के उन स्थानों पर नजर रखते, जहां हादसा हो सकता था। जहां हादसा हुआ, वह दीवार गिरने की स्थिति थी, ऐसे में बीट और थाना प्रभारी को सूचना देनी चाहिए थी। अनदेखी करने से यह हादसा हुआ। ऐसे में कार्रवाई करनी पड़ी।

पहले जिम्मेदार : निगम के गैंग प्रभारी बाली

गैंग प्रभारी मनीष बाली को हादसे का पहला जिम्मेदार माना गया, क्योंकि उन्होंने अतिक्रमण नहीं हटाया था। उनकी जिम्मेदारी थी कि वह अतिक्रमण ना होने दें, लेकिन हादसे के दिन फरहीन और अजय नाथ ने दीवार के नीचे दुकान लगा रखी थी। अगर उनकी दुकान का अतिक्रमण नहीं होता तो दोनों की मौत नहीं होती। शारदा बाई और रूही भी हादसे में घायल नहीं होते।

दूसरे जिम्मेदार : नगर निगम के उपयंत्री बोयत

नगर निगम में गोपाल बोयत उपयंत्री के पद पर कार्यरत हैं। इनका काम था अतिक्रमण हटाने वाली गैंग पर नियंत्रण रखना और सुपरविजन करना। बोयत ने अपने काम में लापरवाही बरतते हुए यह नहीं देखा कि कहां-कहां अतिक्रमण हो रहा है। अतिक्रमण हटाने वाली गैंग क्या कर रही है। लिहाजा, उन्हें भी जिम्मेदार मानते हुए सस्पेंड कर दिया गया।

तीसरे जिम्मेदार : महाकाल टीआई अजय वर्मा

महाकाल थाना शहर का सबसे वीआईपी थाना है। थाना प्रभारी होने के नाते वर्मा की जिम्मेदारी थी कि वे अपने क्षेत्र का पूरा ध्यान रखें। यदि अतिक्रमण हो रहा है तो नगर निगम को सूचित करें और कार्रवाई के लिए पत्र लिखें। वर्मा के क्षेत्र में हादसा हुआ तो उन्हें भी कार्य में लापरवाही बरतने का जिम्मेदार माना गया। इसी के चलते सस्पेंड कर दिया गया।

चौथे जिम्मेदार : बीट प्रभारी एसआई निगवाल

थाना क्षेत्र में प्रभारी बीट तय करते हैं। प्रत्येक बीट का एक प्रभारी होता है। उसकी जिम्मेदारी अपनी बीट में सक्रिय रह कर अवैध वसूली और अतिक्रमण पर नजर रखना है। बड़े गणेश के पास महाराजवाड़ा की जो दीवार गिरी उस बीट की जिम्मेदारी भरत सिंह निगवाल को दी गई थी। कार्रवाई के प्रथम चरण में उन्हें भी दोषी पाया गया। लिहाजा, उन्हें भी सस्पेंड किया गया है।

पांचवें जिम्मेदार महाकाल मंदिर के प्लाटून कमांडर दिलीप बामनिया

दिलीप बामनिया महाकाल मंदिर में प्लाटून कमांडर यानी सुरक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। इनकी लापरवाही यह रही कि उनकी जिम्मेदारी थी कि मंदिर से निकल कर यह देखते कि मंदिर के आसपास अतिक्रमण कहां-कहां हो रहा है। इन्हें कार्रवाई करना थी, लेकिन नहीं की। इन्हें भी सस्पेंड किया गया है।

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