जर्जर मकान तोडऩे के लिए दस साल से भटक रही है वृद्धा
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। फ्रीगंज की अघोषित सब्जी मंडी में नगर निगम ने जर्जर और गिराऊ मकान पर जेसीबी चलाई। क्षेत्र में नगर निगम की सख्ती की चर्चा रही। लेकिन हकीकत इससे अलग है। यह कार्रवाई कलेक्टर के निर्देश पर तो की गई, लेकिन बीच में ही रोक दी गई।
जानकारी के अनुसार सब्जी मंडी अमर सिंह मार्ग पर 85 वर्षीय शांता बाई पति स्व. लक्ष्मीनारायण शर्मा का तीन मंजिला मकान है। करीब 10 साल पहले इसका निर्माण हुआ। लकड़ी, चूना, कबेलू और मिट्टी से जुड़ाव किया गया था। इस मकान के नीचे पांच दुकानें हैं। पिछले दिनों जनसुनवाई में शांता बाई अपने भतीजे के साथ पहुंची। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह को बताया कि वह पिछले दस साल से भटक रही है।
नगर निगम से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगा ली। किसी ने सुनवाई नहीं की। मुख्य बाजार में जर्जर मकान किसी भी दिन हादसे का कारण बन सकता है। शनिवार की दोपहर नगर निगम की अतिक्रमण हटाओ गैंग जेसीबी लेकर पहुंंच गई। कुछ देर के लिए कार्रवाई हुई और जेसीबी चली गई। दुकानें अभी भी सलामत हैं।
किसके इशारे पर कार्रवाई रोकी गई
जेसीबी आई तब क्षेत्र में हलचल मची हुई थी। लोगों को लगा कि आज ही पूरा मकान टूट जाएगा। फोटो खिंचते रहे, वीडियो बनते रहे। कुछ ही देर में कार्रवाई रुक गई। शांता बाई ने अपने भाई के पुुत्र मुकेश को गोद लिया है। उसने बताया कि हम और बुआ मां जर्जर मकान को लेकर दस साल से परेशान हैं। हम खुद भी किराए के मकान में रह रहे हैं। कलेक्टर की जनसुनवाई में शिकायत की गई तब जाकर नगर निगम की नींद खुली। उसने बताया कि किसी के इशारे पर कार्रवाई रोक दी गई। वह कौन है इसके बारे में जानकारी नहीं मिली है। वह बुआ के साथ नगर निगम जा रहा है।
दुकानदार बोले मकान हमें दे दो…
मुकेश का कहना है कि दुकानदार कई बार यह कह चुके हैं कि पैसे दे दो या मकान हमें दे दो, हम अपने हिसाब से बनवा लेंगे। मकान मालिक और किराएदार का यह मामला फिलहाल कोर्ट नहीं गया है। नगर निगम और कलेक्टर की जनसुनवाई तक उलझा हुआ है। अब देखना है कि इस मामले में कलेक्टर की सख्ती काम आती है या नगर निगम की वह सुस्ती जिसने शांता बाई को दस साल से लटका रखा है।