रुपयों के लालच में खाता बेचने वाले खुद ही नहीं जानते अपराधी कौन?

डिजिटल अरेस्ट के सरगना पुलिस की गिरफ्त से दूर
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अक्षरविश्व न्यूज :उज्जैन। शहर सायबर अपराधियों के निशाने पर हैं। यहां के रहवासियों को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों रुपए की हेराफेरी के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। इन मामलों में अब तक खाता बेचने वाले लोग ही पकड़े गए हैं। सरगना अब तक पुलिस गिरफ्त से दूर हैं। सितंबर में ही तीन लोग डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगी का शिकार हुए हैं। इन मामलों में पुलिस ने पांच लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है और करीब सवा करोड़ रुपए की राशि होल्ड करवाई है, लेकिन पुलिस अब तक सरगना तक नहीं पहुंच पाई है।

अफसर बोले… सरगना तक पहुंचने के प्रयास
माधवनगर थाने के जांच अधिकारी अंकित भनोदिया, शशिकांत गौतम ने कहा गिरफ्तार होने वाले आरोपी मजदूरी या प्राइवेट जॉब करने वाले हैं। अर्जुनसिंह सफाई कर्मचारी है। उसे बैंक खाता दूसरे व्यक्ति को देने के बदले 20 से 30 हजार मिलते थे। अन्य आरोपी सेठा भी एनजीओ कर्मचारी है। उससे भी 25 हजार रुपए का लालच दे बैंक खाता खरीदा गया था। इन लोगों से जिन्होंने खाते खरीदे उनकी तलाश की जा रही है।
बैंक खाता खुलवाने वाली गैंग अलग
डिजिटल अरेस्ट मामले में चिमनगंज पुलिस ने छत्तीसगढ़ के दो युवकों को पकड़ा दो दर्जन से अधिक बैंक पासबुक, एटीएम और कागजात जब्त किए थे। जांच अधिकारी विकास देवड़ा ने कहा यह लोग बस्तियों में रहने वालों, फुटपाथ पर अथवा ठेले पर छोटा मोटा व्यापार करने वाले और गृहणियों को सरकारी योजनाओं को लाभ दिलवाने के नाम खाते खुलवाते थे। जिस सरगना के लिए काम करते थे, उसकी तलाश में टीम दबिश दे चुकी है लेकिन नहीं मिला। बैंक पासबुक, एटीएम और अन्य डाक्यूमेंट का उपयोग सायबर फ्रॉड में करने की आशंका है।
जागरुकता ही बचाव
सायबर ठगी, डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों से से बचने के लिए सावधानी और जागरुकता ही बचाव का रास्ता है। पुलिस ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया है।
समय पर जानकारी दें
एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता। ठग काल्पनिक पुलिस थाना, सीबीआई दफ्तर आदि का डर दिखाकर वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को भ्रमित करते हैं। अगर ठगी की जानकारी तत्कालद पुलिस अथवा आईटी सेल को मिल जाए तो राशि को रिकवर किया जा सकता है।









