अति आत्मविश्वास गुड्डू की मौत का कारण बना, अगर जिंदा रहता तो…

अति आत्मविश्वास गुड्डू की मौत का कारण बना, अगर जिंदा रहता तो…
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पूर्व पार्षद गुड्डू कलीम की हत्या में नया खुलासा

दानिश के साथ शूटर सोहराब भी घुसा था बेडरूम में
उज्जैन। होटल व्यवसायी और पूर्व पार्षद गुड्डू कलीम की हत्या को लेकर शहर में कई कहानियां जन्म ले रही हैं। कोट मोहल्ला की तंग गलियों से निकल कर वजीर पार्क की आलीशान कोठी तक का सफर अपराधों से भरा पड़ा था। वक्त के साथ-साथ उसके किरदार बदलते गए और वह जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, व्यवसायी और जनप्रतिनिधि बन गया। किरदार बड़ा होने पर व्यक्ति अति आत्मविश्वासी हो जाता है। यही उसकी हत्या की वजह बना।
कलीम की हत्या की गुत्थी सुलझ गई है। एसपी प्रदीप शर्मा ने पुलिस कार्रवाई से प्रसन्न होकर 30 हजार के इनाम की घोषणा की है। कुछ सवाल अभी भी अधूरे हैं। पुलिस ने मामले का खुलासा तो कर दिया लेकिन यह बात अभी तक सामने नहीं आई है कि गुड्डू के कमरे में दानिश कैसे पहुंचा।
बेटे दानिश से अनबन थी गुड्डू की
दानिश के बारे में बताया जाता है कि 15 साल पहले गुड्डू ने उसे बेदखल कर दिया था। वह कोट मोहल्ला मेें रहने चला गया। वहीं पर उसने अपने ही समाज की युवती से प्रेम विवाह किया। दो साल पहले उसकी पत्नी खुदकुशी कर ली। एक ओर पिता की बेरुखी और दूसरी ओर पत्नी की मौत ने उसे तोडकऱ रख दिया। वह अपने ननिहाल आजाद नगर इंदौर चला गया, लेकिन मां नीलोफर के संपर्क में रहा।
नीलोफर और दानिश की योजना
बंटवारे के मुद्दे पर जब गुड्डू बिफर गया तब नीलोफर ने दानिश की नफरत की आग को और हवा दे दी। इसमें आसिफ भी शामिल हो गया। तीनों ने मिलकर गुड्डू को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। नीलोफर ने अपने रिश्तेदार इमरान से बात की। उसके खाते में रुपए ट्रांसफर किए। 4 अक्टूबर को गुड्डू पर हमला किया, लेकिन वह बच गया।
सोहराब-जावेद की भूमिका
नीलोफर ने हत्या की सुपारी इमरान को दी थी। हमले में वजीर पार्क कॉलोनी के सोहराब और जावेद भी शामिल थे। यह कॉलोनी गुड्डू ने ही बसाई थी। वह भी यहीं रहता था। सवाल यह है कि इसी कॉलोनी के दो लोग इमरान के साथ शामिल कैसे हो गए? यह नीलोफर के संपर्क में थे या इमरान ने कोई गैंग बना रखी है उसके सदस्य हैं? इसका खुलासा पुलिस को करना है।
भतीजे पर ज्यादा भरोसा था गुड्डू को
गुड्डू को अपना भतीजा अति प्रिय था। बरसों पहले धरमबड़ला के डाकू खडग़ सिंह ने गुड्डू के भाई सलीम की हत्या कर दी थी। गुड्डू ने उस हत्या का बदला लिया। आरिफ की परवरिश गुड्डू ने की। उसे माता-पिता का प्यार, भरोसा, सम्मान और जरूरत के लिए पैसा भी दिया। आरिफ जितना गुड्डू के निकट था उतना ही नीलोफर से दूर था। जब संपत्ति के बंटवारे की बात आई तब गुड्डू अड़ गया। वह चाहता था कि आरिफ भी आर्थिक रूप से सक्षम हो और वह भी होटल का व्यवसाय करे। यहीं से विवाद शुरू हुआ और हत्या तक पहुंचा।
हत्या न होती तो….
जब गुड्डू को पता चला कि उसकी पत्नी और बेटा ही उसकी हत्या करना चाहते हैं तो वह अंदर तक हिल गया। कई मित्रों से इसका जिक्र किया। उसके मन में कुछ चल रहा था। इसलिए वह होटल में रात 3.30 बजे तक सोचता रहा। बहन शकीला उसे घर ले गई। यदि वह सोने के लिए कमरे में नहीं जाता तो अगली सुबह कुछ भी कर सकता था। नीलोफर और दानिश को पता था कि गुड्डू जिद्दी और दृढ़ निश्चयी है इसलिए दोनों ने हत्या को अंजाम दिया।
पुलिस ने यह बताई हत्याकांड की कहानी: नीलोफर ने दरवाजा खोला, दानिश और शूटर कमरे में पहुंचे, बेटे ने गोली मारी एसआई यजुवेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि गुड्डू कलीम की हत्या की सूचना उसके भतीजे आरिफ पिता सलीम खान 35 वर्ष निवासी वजीर पार्क कॉलोनी ने थाने पर दी थी। पुलिस ने कलीम के घर पहुंचकर जांच शुरू की। सीसीटीवी डीवीआर जब्त किया। परिजनों के बयान लिए जिसमें पता चला कि कलीम की हत्या का षड्यंत्र 8 दिन पहले ही रचा जा चुका था। कलीम के बड़े बेटे आसिफ ने पिता की हत्या के लिए दोस्त जावेद से संपर्क किया था। जावेद ने आसिफ को बताया कि उसका भाई सोहराब शूटर है, उसे सुपारी देकर कलीम की हत्या करवा सकते हैं। इस बात से कलीम की पत्नी नीलोफर, छोटा बेटा दानिश भी सहमत हुए। सोहराब व इमरान निवासी इंदौर को कलीम की हत्या के लिए सुपारी दी गई। 4 अक्टूबर की सुबह कार में सवार होकर सोहराब, इमरान व दानिश आए थे। इस दौरान कलीम पर सुबह 6 बजे सोहराब ने गोली चलाई थी लेकिन कलीम को गोली नहीं लगी। पुलिस ने कलीम की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की और इमरान को पकड़ा। इमरान ने पुलिस को षड्यंत्र की जानकारी दे दी। पुलिस ने कलीम को भी इससे अवगत कराया था।
इरशाद ने दानिश को हथियार दिया था
कलीम रात 3.30 बजे अपने बेडरूम में सोने गया। वहां पत्नी नीलोफर ने उससे प्रापर्टी के बारे में बातचीत की लेकिन कलीम गाली गलौज कर सो गया। नीलोफर ने बेडरूम का दरवाजा अंदर से खोला। दानिश और सोहराब कमरे में पहुंचे। एसआई परिहार के मुताबिक दानिश ने कलीम को गोली मारी। इसके बाद दानिश और सोहराब भाग गए थे। इरशाद ने दानिश को हथियार उपलब्ध कराया था। मां बेटों ने सोहराब व इमरान को काम पूरा होने के बाद 10-15 पेटी देने की बात कही थी। हालांकि यह बात मौखिक तौर पर हुई थी। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है।
आसिफ के ससुर से रुपयों के संबंध में पूछताछ
पुलिस ने बताया कि आरिफ ने आरोप लगाया है कि आसिफ ने चंद का कुआं में रहने वाले ससुर को 55 लाख रुपए और 500 ग्राम सोना दिया था। पुलिस ने लाला से रुपए व सोने के संबंध में पूछताछ शुरू की है, जबकि आसिफ पुलिस पूछताछ में इससे इंकार कर रहा है। नीलगंगा पुलिस ने मामले में आरिफ की रिपोर्ट पर धारा 302, 120 बी के तहत केस दर्ज कर नीलोफर, आसिफ और जावेद के खिलाफ षड्यंत्र रचने, दानिश और सोहराब के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है। दानिश और सोहराब अभी फरार हैं, जबकि धारा 307 के मामले में इमरान गिरफ्तार है और इसी मामले सोहराब और दानिश फरार हैं।








