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CM यादव का हरियाणा में पर्यवेक्षक बनना बहुत कुछ कहता है

डॉ. मोहन यादव को लेकर एक बार फिर केंद्र ने चौंकाया

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नरेंद्र सिंह अकेला\उज्जैन। हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक हो गई। कार्यवाहक सीएम नायब सिंह सैनी का दोबारा सीएम बनना भी लगभग तय है, लेकिन यहां सीएम फेस तय करने के लिए दो पर्यवेक्षक बनाकर केंद्र ने चौंकाया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव का केंद्र ने पर्यवेक्षक बनाया है। शाह के नाम को लेकर किसी को भी अचरज नहीं है लेकिन राजनीति पंडितों के लिए डॉ. यादव का नाम चौंकाने वाला है और यह उनके बढ़ते कद का इशारा करता है।

पिछले साल के नवंबर महीने में भाजपा ने मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को सीएम बनाया था। तब भाजपा के इस फैसले से लोग चौंक गए थे। इन तीनों में सिर्फ डॉ. यादव ही ऐसे हैं, जो देश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। नेशनल मीडिया में भी डॉ. यादव ही सुर्खियों में हैं। अपनी दूरदर्शिता, सक्रियता, सख्त प्रशासक और योजनाकार के रूप में डॉ. यादव उन दोनों सीएम से कहीं आगे हैं। अब अमित शाह के साथ पर्यवेक्षक बनना उनकी राजनीति में वह तमगा है जो उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग करता है।

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अहीरवाल क्षेत्र में यादवों का प्रभाव

हरियाणा के चुनाव में भाजपा को जो सफलता मिली है उसमें अहीरवाल क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। गुडग़ांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ यादवों के गढ़ हैं। इस बेल्ट का प्रतिनिधित्व राव इंद्रजीत सिंह कर रहे हैं जो हरियाणा के कद्दावर नेता रहे राव वीरेंद्र सिंह के बेटे और स्वतंत्रता संग्राम सैनानी राव तुलाराम के वंशज हैं। राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री हैं। उनकी बेटी आरती राव अभी विधायक बनी हैं। चुनाव परिणाम के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने करीब १३ विधायकों के साथ बैठक कर केंद्र को चौंका दिया। हरियाणा में यह चर्चा जोरों पर है कि राव इंद्रजीत ने यह चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ा है और वह चाहते हैं कि उनकी मेहनत का परिणाम मिले। उन्होंने बेटी आरती का नाम आगे बढ़ाया है। केंद्र ने उनके इरादों को भांप लिया है।

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सिर्फ सैनी ही सबकुछ नहीं

पर्यवेक्षक बनाने का मकसद यह भी बताया जा रहा है नायब सिंह सैनी यह न समझ लें कि उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। सीएम की डगर उनके लिए आसान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा की राजनीति, जातिगत समीकरण और वहां के कल्चर को अच्छी तरह जानते हैं। जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली तब वे प्रभारी थे। हरियाणा में प्रचारक और पर्यवेक्षक रह चुके हैं। वे किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते। इसलिए पर्यवेक्षक बनाए गए।

हो सकता है आरती डिप्टी सीएम बने

डॉ. मोहन यादव सीएम के साथ कुशल संगठक भी हैं। रूठों को मनाने में माहिर हैं। हरियाणा की राजनीति में जो आंतरिक तूफान आया है उसे रोकने में सक्षम हैं। राजनीति में गलियारों में चर्चा यह भी है कि हरियाणा में बेशक नायब सिंह सैनी का नाम सुर्खियों में है लेकिन मोदी है तो सबकुछ मुमकिन है। जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में चौंकाया गया, हो सकता है अब हरियाणा भी चौंक जाए।

यह प्रस्ताव रख सकते हैं सीएम डॉ. यादव
केंद्र ने डॉ. यादव को भेजा है तो हो सकता है कि वे यह प्रस्ताव रखें कि आरती को डिप्टी सीएम बना दिया जाए या केंद्र में राव इंद्रजीत सिंह का प्रमोशन हो जाए। विज को विधानसभा अध्यक्ष का प्रस्ताव दिया जाए। बहरहाल, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति से हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है।

विज भी दे रहे हैं चुनौती

इधर, पंजाबी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले अनिल विज सातवीं बार अंबाला कैंट से जीते हैं। वे खट्टर सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री थे। सैनी के सीएम बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग डॉ. कमल गुप्ता को दिया गया। विज हरियाणा के सबसे तेज-तर्रार और मुखर नेता हैं। वह भी सीएम पद को लेकर अपने इरादे जाहिर कर चुके हैं।

उनका मन कुलांचे भर रहा है। हालांकि विज मुश्किल से चुनाव जीते हैं। इसमें निर्दलीय चित्रा की भूमिका महत्वपूर्ण रही, जिसने कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर सिंह परी के वोट काट दिए। चित्रा के कारण विज की नैया पार लग गई। इधर विज और उधर आरती से संगठन को पार पाना है। एक तरफ पंजाबी और दूसरी तरफ यादव बिरादरी। इसीलिए केंद्र ने डॉ. मोहन यादव को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है।

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