Advertisement

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को अन्य स्थानों पर लगाने की तैयारी

अब वैदिक वॉच को रिस्ट पर लाने की कोशिश

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

Advertisement

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को बताया त्रुटिरहित है। काल-समय की गणना के लिए इससे बेहतर कुछ भी नहीं है। भारत की पहली वैदिक घड़ी उज्जैन मे स्थापित करने के बाद अन्य स्थानों पर भी इसे लगाने के साथ रिस्ट वाच बनाने के प्रयास प्रारंभ किए गए है। इसमें जल्द सफलता मिलने की उम्मीद है।

 

यह बात वैदिक घड़ी प्रणेता लखनऊ के आरोह श्रीवास्तव ने प्राचीन भारतीय कालगणना में वैदिक परम्परा विषय पर आयोजित संगोष्ठी के बाद मीडिया से चर्चा में कही। श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय कालगणना विश्व की प्राचीनतम, सूक्ष्म, शुद्ध, त्रुटिरहित, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय पद्धति है।

Advertisement

समस्त घटकों को समवेत कर बनाया – काल/परिमाण की इस सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति का पुर्नस्थापन विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में किया गया है। मुहूर्त, घटी, पल, कास्ता, प्रहर, दिन-रात, पक्ष, अयन, सम्वत्सर, दिव्यवर्ष, मन्वन्तर, युग, कल्प, ब्रह्म वैदिक घड़ी के मुख्य आधार है। इस घड़ी को वैदिक काल गणना के समस्त घटकों को समवेत कर बनाया गया है। इसमें भारतीय पंचांग, विक्रम संवत मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्यौहार, चौघडिया, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, आकाशस्थ, ग्रह, नक्षत्र, ग्रहों का परिभ्रमण समाहित है।

कालगणना का केंद्र उज्जैन- प्राचीन भारतीय कालगणना में वैदिक परंपरा विषय पर आयोजित संगोष्ठी में देश-प्रदेश के पंचांगकर्ता एवं वैदिक कालगणना परंपरा के विद्वान, खगोलविद, वैज्ञानिक, अध्येता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कालगणना का केंद्र उज्जैन है। समय की गणना में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी त्रुटिरहित है।

Advertisement

यह उपस्थित थे संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो.

बालकृष्ण शर्मा, पूर्व कुलगुरु विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन थे। विशेष अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, राजेश कुशवाह, वरिष्ठ कार्यपरिषद सदस्य, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, डॉ. आरसी ठाकुर , निदेशक, अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर। अतिथि के रूप में पं. आनंद शंकर व्यास, वरिष्ठ ज्योतिर्विद, महामण्डलेश्वर मदन व्यास, उज्जैन, डॉ. निलिम्प त्रिपाठी, भोपाल, पं. कैलाशपति नायक, अशोक नगर, पं. भागीरथ जोशी, नीमच, ज्योतिषाचार्य अर्चना सरमण्डल, उज्जैन उपस्थित हुए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आरोह श्रीवास्तव, वैदिक घड़ी प्रणेता, लखनऊ थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने की। संचालन डॉ. प्रीति पांडे ने किया।

Related Articles