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इंदौर के किसान ने कमरे में बिना मिट्टी के उगा दी कश्मीर की केसर

एयरोपॉनिक्स पद्धति से किया कमाल, मकान की दूसरी मंजिल के कमरे में केसर के ये बैंगनी रंग के फूल देखने ही बन रहे

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अक्षरविश्व न्यूज इंदौर। केसर की खेती तो कश्मीर में होती है, लेकिन इंदौर के एक किसान ने बिना मिट्टी के कमरे में केसर उगा दिया है। एयरोपॉनिक्स पद्धति से किसान ने ये कमाल किया है। किसान के मकान की दूसरी मंजिल के कमरे में केसर के ये बैंगनी रंग के फूल देखते ही बन रहे हैं।

 

प्लास्टिक की ट्रे में रखे केसर के पौधे

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केसर उत्पादक अनिल जायसवाल बताते हैं कि नियंत्रित वातावरण वाले कमरे में केसर के पौधे प्लास्टिक की ट्रे में रखे गए हैं। कुछ साल पहले वे कश्मीर घूमने गए थे। वहां पम्पोर में केसर के खेत देखकर इसकी खेती का आइडिया आया। केसर उगाने के लिए एयरोपॉनिक्स तकनीक के उन्नत उपकरणों से तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का नियंत्रित वातावरण तैयार किया।

तापमान नियंत्रित कर हासिल की केसर की उपज

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320 वर्गफुट के कमरे में केसर की खेती का बुनियादी ढांचा तैयार

6.50 लाख रुपए की लागत कमरे को तैयार करने में आई

पौधे को सुनाते हैं संगीत

अनिल की पत्नी कल्पना कहती हैं कि पेड़ पौधों में भी जान होती है। हम केसर के पौधों को संगीत सुनाते हैं ताकि कमरे में रहने के बावजूद उन्हें महसूस हो कि वे प्रकृति के नजदीक हैं। एयरोपॉनिक्स पद्धति के जानकार प्रवीण शर्मा बताते हैं कि कई जगह इस पद्धति से बंद कमरों में केसर उगती है।

पम्पोर से मंगाए थे बीज

जायसवाल ने बताया कि केसर का बीज पम्पोर से मंगाया था। उन्हें उम्मीद है कि इस बार वे डेढ़ से दो किलोग्राम केसर पैदा करेंगे। वे कहते हैं कि उनका केसर जैविक है। इसलिए घरेलू बाजार में वह उपज ५ लाख रुपए प्रति किलो की दर पर बेच सकेंगे।

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