पटाखा बाजार में अग्निकांड, आसपास की कॉलोनियों के लोग दहल उठे

रात 12.57 बजे पहली दुकान से फूटने लगे पटाखे, दो दुकानें हो गईं स्वाहा
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- 1.29 बजे आई फायर ब्रिगेड
- 1.40 बजे पहुंची पुलिस
- 2.10 बजे अग्नि हुई शांत
उज्जैन। सामाजिक न्याय परिसर के पटाखा बाजार में सोमवार देर रात 12.57 पर जबरदस्त आग लगी। दो दुकानें और एक बाइक जल कर राख हो गईं। रावण दहन में इतने पटाखे नहीं फूटते जितने इस अग्निकांड में फूट गए। पटाखों की आवाज ने आसपास की कॉलोनियों में रहने वालों की नींद उड़ा कर रख दी। सौ में से चालीस दुकानों में पटाखे रखे थे। यदि आग इन सभी दुकानों तक पहुंचती तो स्थिति और भयावह हो सकती थी। यानी सामाजिक न्याय परिसर और पूरा इलाका बारुद की जद में था।

प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल अनिलसंह और नितिन कुमार के अनुसार सामाजिक न्याय परिसर में सोमवार की रात सन्नाटा छाया हुआ था। अचानक 12 बजकर 57 मिनट पर एक दुकान से कुछ पटाखे चलने की आवाज आई। देखते ही देखते पूरी दुकान आग की लपटों में घिर गई। राकेट बम आकाश से बातें कर रहे थे। चकरी घूमती हुई दूर तक जाकर गिर रही थी। आग इतनी खतनाक थी कि दूसरी दुकान भी चपेट में आ गई। चारों तरफ पटाखों का शोर गूंज रहा था जो रात के सन्नाटे को तोड़ रहा था।
यह होना चाहिए था, नहीं हुआ
फायर ब्रिगेड की दमकल होना चाहिए थी। वीआईपी ड्यूटी के नाम पर हटा ली गई। अग्निकांड के बाद मंगलवार सुबह भेज दी गई। जब यहीं रखना थी तो हटाई क्यों? अग्निकांड के बाद अधिकारियों को मौके पर आकर पुलिस की मौजूदगी में इलाके को सील करना था। दुकानों में देखना था कितने पटाखे बचे हैं। किसी ने नहीं देखे। इसके पहले कि प्रशासन कोई कार्रवाई करता, दुकानें खाली हो चुकी थीं। दुकानदारों के पास क्षमता से ज्यादा पटाखे नहीं थे तो दुकानें खाली करने में जल्दबाजी क्यों की? छोटा हाथी में पटाखे भर कर ले जाए जा रहे थे, अंदाजा लगाइए कि बिके कितने होंगे।
आसपास के लोग मौके पर आ गए
पटाखों का शोर इतना था कि लोगों की नींद खुल गई। बालाराम कॉलोनी, सुदामा नगर, तुलसी नगर, हीरा मिल की चाल, ब्राम्हण गली और बहादुरगंज क्षेत्र के लोग मौके पर आ गए। सभी असहाय थे। मोबाइल से वीडियो बनाने का दौर शुरू हो गया था। मौके पर पहुंचे पार्षद सुशील श्रीवास ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। तब तक दोनों दुकानों के पटाखे शोर मचा कर आग से खेल चुके थे।
वीआईपी के नाम पर बच नहीं सकते
मंगलवार को शहर में वीआईपी हैं। पूरा प्रशासनिक अमला व्यवस्था में लगा हुआ है। अग्निकांड के पाश्र्व में पटाखों का खेल था जिसका उजागर होना जरूरी था। वीआईपी ड्यूटी का हवाला देकर अधिकारी बच नहीं सकते। लोगों का कहना है कि इस मामले की जांच होना चाहिए। जो दोषी जाएं उन्हें सबक भी मिलना जरूरी है।









