तीन बच्चे पैदा करने की अपील आरएसएस की लाचारी
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पुरी की गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद जी सरस्वती ने कहा कि हिंदू समाज से तीन बच्चों पैदा कराने की अपील आरएसएस की लाचारी है। अगर तीन बच्चे ही पैदा करने हैं तो आरएसएस के ब्रह्मचारी खुद भी गृहस्थ हो जाएं।
शंकराचार्य जी सोमवार को नृसिंह घाट स्थित झालरिया मठ में मीडियाकर्मियों से चर्चा कर रहे थे। शंकराचार्य जी तीन दिन के उज्जैन में हैं। उनसे सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के तीन बच्चे पैदा करने पर सवाल पूछा गया था। बेबाकी और खरी-खरी कहने के लिए पहचाने जाने वाले शंकराचार्य जी ने कहा कि पहले हम दो-हमारे दो कहा जाता था। अब कहते हैं तीन-तीन बच्चेे हो। मैं आरएसएस की निंदा नहीं कर रहा हूं। ऐसा कहना उनकी लाचारी है। उनके पास गुरु, गोविंद और ग्रंथ का बल नहीं है। उनके पास संघ बल है।
धार्मिक और पूजा स्थलों पर दावे ठीक
देश में इन दिनों पूजा स्थलों पर किए जा रहे दावों को शंकराचार्य जी ने ठीक बताया। उन्होंने कहा कि ताजमहल का पुराना नाम तेजोमहालय है। वह शिवालय था। इसका उल्लेख जयपुर राजघराने में है। धार्मिक स्थलों को हासिल करने की प्रोसेस होना चाहिए। यह बिल्कुल वैसी ही होना चाहिए कि दूसरा पक्ष स्वत: अपना दावा छोड़ दे। यह आवाज दूसरी तरफ से आना चाहिए। यह दोनों पक्षों के लिए ठीक है। ऐसा नहीं होने पर विपल्व होगा जो ठीक नहीं है।
बांग्लादेश की हिंसा अदूरदर्शिता
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा को शंकराचार्य जी ने अदूरदर्शिता बताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंसा करने वालों को यह सोचना चाहिए कि अगर हिंदुओं की त्यौरियां चढ़ गई तो उन जगहों पर मुस्लिमों का क्या होगा जहां हिंदू ज्यादा हैं।
नई पीढ़ी को धर्म को सही तरीके से समझाना होगा
धर्म से नई पीढ़ी के नहीं जुडऩे के सवाल पर शंकराचार्य जी चिंतित दिखाई दिए। उन्होंने कहा नई पीढ़ी को धर्म से जोडऩे के लिए उन्हें सही तरीके से समझाना होगा। इसके लिए हमें धर्म को सही तरीके से परिभाषित करना होगा। यह होगा तो हर व्यक्ति धर्म धारण करेगा। धर्म साध्य और सिद्ध कोटि का होता है। जब हम यह बताएंगे तो लोग उसे हर हाल में स्वीकार करेंगे।
हमारे पर्व और उत्सव को इवेंट ना बनाया जाए
हाल ही के समय में धर्म संबंधी आयोजनों को बड़े इवेंटस में बदलने पर शंकराचार्यजी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा हमारी तपस्थलियों को पर्यटन केंद्र बनाने की प्रथा चल पड़ी है। कुंभ जैसे आयोजन तप, कल्प और भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। इनमें लोग तप के लिए आते हैं और यहां वीआईपी कल्चर लाना ठीक नहीं है। इन पर्व-त्योहार और आयोजन में विकृति नहीं आना चाहिए।
पीएम के ज्यादा तामझाम, वह ना ही आएं तो बेहतर
राजनेताओं को हर दम खरी-खरी सुनाने वाले शंकराचार्य जी ने कहा कि आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक कुप्प सी सुदर्शन उनसे मिलने अक्सर आते थे। डॉ. मोहन भागवत भी साल में एक बार मिलने आते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी पुरी दर्शन के दौरान एक बार मिलने आए थे। उनके साथ तामझाम ज्यादा रहता है, ऐसे में वह ना ही आएं तो बेहतर रहेगा।
बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं… से भाजपा को फायदा
बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं जैसे नारों पर शंकराचार्य जी ने कहा कि इन नारों का फायदा हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा को मिला है।