फ्रॉड भस्म आरती प्रभारी बोला…फरार नहीं हुआ बदनामी के कारण आत्महत्या करने निकला था

मथुरा, वृंदावन, ग्वालियर में फरारी काटी, बच्चों का ख्याल आया तो थाने में सरेंडर किया
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में लोगों को दर्शन कराने के नाम पर ठगी करने वाले कर्मचारियों के गिरोह के आखिरी आरोपी ने सोमवार को महाकाल थाने में सरेंडर कर दिया। पुलिस उसे आज कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड मांगेगी। आरोपी के चेहरे पर पश्चाताप के भाव थे लेकिन वह यह बताने को तैयार नहीं हुआ कि आखिर रैकेट काम कैसे करता था।
महाकालेश्वर मंदिर में लोगों की मंशानुसार दर्शन कराने की व्यवस्था रैकेट द्वारा की जाती थी। भस्म आरती दर्शन, नंदीगृह दर्शन, जलाभिषेक और गर्भगृह तक पहुंचाने का काम कर्मचारियों के रैकेट द्वारा किया जाता था। लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के बदले कर्मचारी लोगों से प्रति व्यक्ति और समूह के मान से रुपए वसूलते थे। इसी रैकेट में शामिल महाकालेश्वर भस्मार्ती परमिशन प्रभारी रितेश शर्मा ने सोमवार को थाने में सरेंडर किया। खास बात यह कि उसके 5 साथियों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। रितेश केस दर्ज होने के बाद से ही फरार था।
इंदौर से बस में बैठा और मथुरा पहुंचा
शर्मा ने बताया कि जब राकेश और चौकसे पकड़ाए थे तभी आभास हो गया था कि अब बचना मुश्किल है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी। मैं स्वयं को बचाने की जुगाड़ में था, लेकिन मामला नहीं जमा। पुलिस ने अभिषेक भार्गव सहित अन्य कर्मचारियों के नाम केस में बढ़ाए तो मैं घबरा गया। अखबारों में मेरा नाम भी छपा। परिवार और समाज में बदनामी हो गई। मन में ख्याल आया कि आत्महत्या कर लूं। यही सोचकर घर से चला गया। इंदौर पहुंचा तो मथुरा जाने के लिए बस खड़ी थी। उसमें बैठकर मथुरा चला गया। मोबाइल मेरे पास नहीं था। वहां रुकने के बाद ग्वालियर आ गया। तभी बीवी, बच्चों का ध्यान आया। सोचा आत्महत्या कर ली तो उनका क्या होगा। यही सोचकर मन बदल गया और पुलिस के सामने सरेंडर करने थाने आया।
सच्चाई तो पुलिस को ही बताऊंगा
रितेश ने बताया कि लोगों से रुपए लेकर दर्शन कराने की जानकारी मंदिर के हर कर्मचारी को है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो इससे अछूता रहा। यह बात अलग है कि कोई दबाव में तो कोई प्रभाव में काम कराता था। हम लोग भी रुपए लेकर यह काम करने लगे। उसने कहा कि रैकेट कैसे काम करता था इसकी जानकारी तो पुलिस को ही बताऊंगा।