महाकालेश्वर मंदिर तक रोप-वे को रेलवे की हरी झंडी

190 करोड़ रुपए की योजना का नए साल में मार्च से काम शुरू होने की संभावना

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प्रशासन को मिली एनओसी, तैयार हो रही तकनीकी डिजाइन

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। उज्जैन में रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोप वे योजना का काम नए साल 2025 के तीसरे माह से काम शुरू होने की संभावना है। प्रशासन को रेलवे से हरी झंडी मिल गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल) अब इसकी तकनीकी डिजाइन तैयार करा रहा है। ठेकेदार कंपनी द्वारा स्टेशन से यूटिलिटी शिफ्टिंग की तैयारी की जा रही है।

सिंहस्थ में महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन रेलवे स्टेशन से मंदिर तक रोप वे की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार पूरी ताकत से काम कर रही। करीब 190 करोड़ रुपयों से इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने का काम तेज हो गया है। कलेक्टर नीरजकुमार सिंह के अनुसार रोप वे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने एनओसी जारी कर दी है। इससे रोप वे का काम शुरू करने की राह साफ हो गई है।

हालांकि प्रोजेक्ट का काम शुरू होने में अभी दो या तीन माह लग सकते हैं, क्योंकि नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) अभी इसकी तकनीकी डिजाइन तैयार करा रहा है। फरवरी अंत तक इसके तैयार होने की संभावना है। इसके बाद मार्च 2025 से रोप वे का काम शुरू हो सकेगा।

अभी एनएचएलएमएल बैंक से फाइनेंस क्लोजर बनवा रहा है। एक दो दिन में यह काम होने की संभावना है। रोप वे बनाने का काम उड़ीसा की कंपनी एमएस इंफ्रा इंजीनियर कंस्ट्रक्शन द्वारा स्टेशन से यूटिलिटी शिफ्टिंग के लिए बैरिकेटिंग की जाएगी। यूटिलिटी शिफ्टिंग में दो माह का समय लगने की संभावना है। योजना दो साल में पूरी होने की संभावना है। उज्जैन में यह पहला रोप वे होगा।

रोपवे योजना: रिक्लिक एल शेप में बनेंगे तीन स्टेशन

रोपवे में रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक 3 स्टेशन बनाए जाएंगे।

यह एल शेप का रोप वे होगा और मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) सिस्टम से ऑपरेट होगा।

रोप वे ट्रैक 1762 किमी लंबा होगा।

रोप वे में 48 कैबिन होंगे। हर एक कैबिन में एक समय में 10 लोग बैठ सकेंगे।

इससे रेलवे स्टेशन से मंदिर के पास तक का सफर 7 से 8 मिनट में पूरा होगा।

अभी तकनीकी डिजाइन बन रही

यह सही है कि रोप वे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने एनओसी जारी कर दी है। अभी इसकी तकनीकी डिजाइन तैयार हो रही। इसमें दो तीन माह का समय लगेगा। रवींद्र गुप्ता प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएलएमएल

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