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अनुशासनहीनता पर संत पाते हैं सजा

हर अखाड़े में होते हैं कोतवाल, गोलालाठी से पिटाई करने के अलावा कड़ाके की ठंड में गंगा में लगवाते हैं 108 बार डुबकी

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एजेंसी महाकुम्भनगर। महाकुम्भ में बने किसी भी अखाड़े के शिविर में प्रवेश करते ही आपकी सबसे पहली मुलाकात कोतवाल से होती है। ये अपने हाथ में चांदी चढ़ी लाठी लिए रहते हैं, इन्हें छड़ीदार भी कहते हैं। शिविर की सुरक्षा के साथ ही अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी इन्हीं के पास होती है।

 

देते हैं गोलालाठी की सजा
अनुशासनहीनता या अखाड़े के नियम तोडऩे के छोटे मामलों में इन्हें सजा देने का अधिकार भी मिलता है। इसी में एक सजा है गोलालाठी, जिसमें अनुशासनहीनता करने वाले अखाड़े के सदस्य की पिटाई की जाती है। नियम तोडऩे वालों को कोतवाल ठंड में गंगा में 108 डुबकी भी लगवाते हैं। कोतवाल गुरु कुटिया या रसोई की चाकरी, मुर्गा बनने की सजा भी देते हैं। हर अखाड़े में गुरु की कुटिया के पास कोतवाली स्थापित की जाती है।

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किसी अखाड़े में दो तो किसी में चार कोतवाल तैनात किए जाते हैं। कहीं इनकी तैनाती एक सप्ताह के लिए होती है तो कहीं पूरे मेला अवधि के तैनात किया जाता है तो किसी अखाड़े में तीन साल के लिए भी तैनाती की जाती है। महाकुम्भ के दूसरे शाही स्नान के बाद कोतवाल चयनित किए जाते हैं। जिन कोतवाल का कार्यकाल अच्छा होता है, उन्हें सर्वसम्मति से थानापति या अखाड़े का महंत भी बनाया जाता है।

तीनों अनि अखाड़ों का महाकुम्भ में प्रवेश

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महाकुम्भ नगर। वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े भी बुधवार को महाकुम्भ मेला क्षेत्र स्थित अपनी छावनी में पहुंच गए। इस संप्रदाय के तीनों अखाडों निर्मोही अनि, दिगंबर अनि, निर्वाणी अनि की पेशवाई बुधवार को एक साथ निकाली गई। पूर्व में शैव संप्रदाय के सात अखाड़े मेला क्षेत्र पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही मेला में अब अखाड़ों की संख्या दस हो गई है। उदासीन के दो और एक निर्मल अखाड़े की पेशवाई अभी होनी है।

तीनों अखाड़ों की पेशवाई दोपहर बाद केपी इंटर कॉलेज मैदान से निकली। लगभग 70 ट्रैक्टरों पर सवार होकर तीनों अखाड़ों के महामंडलेश्वर, संत और महंत एमजी मार्ग से मधवापुर सब्जीमंडी की ओर बढ़े।

तुलारामबाग स्थित श्रीरूप गौड़ीय मठ के सामने पेशवाई पहुंची तो तुलसीपीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य भी इसमें शामिल हो गए, इसके बाद तो पेशवाई में अलग ही रंग दिखा। एक साथ इतने घंटे और नगाड़े बजने लगे मानों उत्सव आज ही और यहीं हैं। स्वामी रामभद्राचार्य की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं ने मोबाइल निकाल उनकी तस्वीर कैमरे में कैद की। महिलाओं ने जमीन पर लेटकर स्वामी को प्रणाम किया। पेशवाई में स्वामी रामभद्राचार्य के आगमन की सूचना मिलते ही पीछे संतों का हुजूम रुक गया। महामंडलेश्वर स्वामी संतोष दास ‘सतुआ बाबा’ ने स्वामी रामभद्राचार्य को प्रणाम कर उनका स्वागत किया।

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