पीयूष भार्गव पॉवरलेस, कार्रवाई क्यों नहीं..?

अब विशाखा समिति पर ही उठे सवाल,घेराबंदी की तैयारी में महिला कांग्रेस

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। संविदा पर पदस्थ नगर निगम के कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को पॉवरलेस करने से विपक्ष संतुष्ट नहीं है। अब उसने विशाखा समिति को ही सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह समिति ही गलत बना दी गई है। संविदा पर नियुक्त कर्मचारी की जांच विशाखा समिति कैसे कर सकती है। महिला कांग्रेस इस मामले को लेकर निगम प्रशासन की घेराबंदी करने की तैयारी कर रही है।

नगर निगम ने भार्गव से सारे प्रभार छीन लिए हैं, लेकिन संविदा नियुक्ति से अभी हटाया नहीं है। विपक्ष के उपनेता गब्बर भाटी के अनुसार इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए थी लेकिन निगम प्रशासन ने भार्गव से अभी केवल प्रभार लिए हैं। उन्होंने कहा विशाखा समिति तो शासकीय कर्मचारियों की जांच के लिए बनाई जाती है। संविदा पर पदस्थ कर्मचारियों के लिए त्वरित कार्रवाई की जाना चाहिए। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई केवल मामले से ध्यान हटाने के लिए की गई है। सब इंजीनियर के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने का मामला गंभीर है इसलिए संविदा नियुक्ति निरस्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार महिला कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए रणनीति बनाने की कवायद चल रही है।

आदेश का स्वागत लेकिन विशाखा समिति ही सही नहीं- कांग्रेस पार्षद सपना सांखला का कहना है कि निगम आयुक्त ने पीयूष भार्गव को पॉवरलेस किया, इसका धन्यवाद लेकिन अभी यह कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। विशाखा समिति ही सही नहीं है। समिति अध्यक्ष कृतिका भीमावद ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए 90 दिन की प्रक्रिया है। इस मामले की जांच के लिए ज्यादा दिनों की जरूरत ही नहीं।

अब उठ रहे ये सवाल

भार्गव सेवानिवृत्ति से पहले किस पद पर थे और संविदा नियुक्ति उससे बड़े पद पर कैसे दी जा सकती है?

निविदा समिति में अपर आयुक्त वित्त, अपर आयुक्त स्टोर, अधीक्षण यंत्री, उपायुक्त और सहायक उपायुक्त होते हैं तो भार्गव के घर बुलाई गई बैठक में इनकी सहमति थी?

निगम को यह भी साफ करना चाहिए कि किसी अधिकारी के घर बैठक बुलाई जा सकती है, खास तौर से तब जब महिला अधिकारी हों?

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