सफाई इनसे सीखिए… यह कलेक्टर हैं, जो गंदगी में उतरने में भी परहेज नहीं करते

By AV NEWS

अधिकारियों के साथ 52 कुंड में श्रमदान कर दिया स्वच्छता का संदेश….

अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सड़ांध मार रहे दलदल और कीचड़ में सामान्य व्यक्ति नहीं उतर सकता। यदि किसी से कहा जाए कि वह बदबूभरे माहौल में कुछ देर खड़े होकर साफ-सफाई कर दे तो वह नहीं करेगा। यह काम सिर्फ सफाई मित्र ही कर सकते हैं। इसके बाद यदि किसी ने समाज को सफाई के लिए प्रेरणा दी है तो वह हैं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह। इन दिनों वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा शुरू किए गए जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत सफाई में जुटे हुए हैं। उनके साथ अधिकारियों, ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं की टीम चल रही है। कलेक्टर खुद गंदगी में खड़े होकर सफाई करते है और अपने साथ चल रहे लोगों को प्रेरित करते हैं। कालियादेह महल स्थित ५२ कुंड की सफाई के दौरान यही नजारा देखने को मिला। यहां न जाने कितने सालों से गंदगी व्याप्त थी। जिन लोगों को सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने अपने कत्र्तव्य का निर्वाह इसलिए नहीं किया क्यों उन्हें देखने वाला कोई नहीं था। कलेक्टर ने यहां बड़ी देर तक श्रमदान किया।

पंचक्रोशी का प्रमुख पड़ाव

कलेक्टर ने इस दौरान कहा कि कालियादेह महल पंचक्रोशी यात्रा का प्रमुख पड़ाव स्थल है। काफी संख्या में यहां लोग विश्राम करते है और स्नान करते है। उन्होंने आने वाले दिनों में भी घाट और आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई को बनाए रखने के निर्देश दिए श्रमदान के पश्चात कलेक्टर ने अनुकरणीय पहल के लिए समस्त अधिकारियों की प्रशंसा की। इस दौरान संदीप शिवा, कृतिका भीमावत, बृजेश पटेल, कविता उपाध्याय, जय दीक्षित, मोहनसिंह परिहार, हेमेंद्र पाटीदार, कैलाश यादव, रूपेश परमार, कमलसिंह राठौड़, सुभाष पारेगी आदि मौजूद थे।

जिम्मेदारी का एहसास

कलेक्टर ने कहा कि उज्जैन में कई ऐतिहासिक बावडिय़ां मौजूद हैं। जिला प्रशासन एवं नगर निगम द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन बावडिय़ों, कुएं और तालाब में श्रमदान किया जा रहा है। इस मामले में सिर्फ जिम्मेदारी का एहसास ही महत्वपूर्ण बात है। सभी लोग मिलकर यदि सफाई अभियान में जुट जाए तो यहां की बावडिय़ों का वैभव बदल जाएगा। वह अपने प्राचीन स्वरूप में लौट आएंगी। कई बावडिय़ां तो ऐसी भी है, जिन्हें संरक्षित और सौंदर्य प्रदान किया जा सकता है। हम सभी को मिलकर इस अभियान को गति देना है।

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