इंदौर के पितृ पर्वत पर कार्यक्रम में शामिल हुए CM डॉ. मोहन यादव

By AV News

इंदौर। हनुमान जयंती के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 12 अप्रैल को इंदौर पहुंचे। यहां उन्होंने धर्म और संस्कृति से जुड़े दो अहम कार्यक्रमों में भाग लिया, जिनमें से एक था पितृ पर्वत पर भव्य हनुमान जयंती समारोह और दूसरा, महू के आशापुरा गांव में 10,000 गायों की क्षमता वाली विशाल गोशाला का भूमिपूजन। इन आयोजनों के माध्यम से मुख्यमंत्री ने जहां भारतीय परंपराओं और आस्था को दोहराया, वहीं गौसंवर्धन को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता भी दर्शाई।सीएम मोहन यादव इंदौर एयरपोर्ट से सीधे पितृ पर्वत पहुंचे, जहां उन्होंने अद्भुत स्वरूप वाले भगवान हनुमान के दर्शन किए।

उन्होंने कहा, “यह ऐसे देवता हैं, जिनसे जो भी मांगा जाए, वह सब प्राप्त होता है। हमारी सरकार का यह संकल्प है कि महानगरों में बेसहारा गोवंश की समुचित देखरेख हो और उनके लिए विशेष गोशालाओं की व्यवस्था की जाए।”पितृ पर्वत के बाद सीएम यादव महू के आशापुरा गांव पहुंचे, जहां उन्होंने 10 हजार गायों के लिए प्रस्तावित गोशाला का भूमिपूजन किया। यह गोशाला करीब 17 हेक्टेयर में फैली होगी और इसे प्राकृतिक वातावरण में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा, “गौमाता का दूध अमृततुल्य होता है। हमारी संस्कृति में पहली रोटी गाय को, और आखिरी रोटी कुत्ते को देने की परंपरा रही है। हमारे पूर्वजों ने हमें प्रकृति से जोड़ने वाले नियम बनाए थे, जिन्हें हमें फिर से अपनाना है।”इस भव्य गोशाला के निर्माण का जिम्मा इंदौर नगर निगम को सौंपा गया है।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि यहां आठ बड़े शेड बनाए जाएंगे, हर शेड में 1250 गायें रखी जाएंगी। बीमार गायों की देखभाल के लिए अलग से चिकित्सा यूनिट भी स्थापित की जाएगी, जिसमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और दवाओं की समुचित व्यवस्था रहेगी। इसके अलावा, गोपूजन के लिए एक अलग केंद्र भी बनाया जाएगा। कुल 42 करोड़ रुपये की लागत से यह प्रोजेक्ट विकसित किया जाएगा।नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि गोशाला में जल की व्यवस्था के लिए तालाब निर्माण भी किया जाएगा। चूंकि यह स्थान वन क्षेत्र के करीब है, इसलिए गोवंश को खुले में घूमने की भी पर्याप्त सुविधा मिलेगी।

यह पहल आवारा और असहाय गायों के लिए एक संरक्षित आश्रयस्थल साबित होगी।मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने संकल्प लिया है कि गौमाता को अब लावारिस नहीं छोड़ा जाएगा। सभी नगर निगमों को बड़ी और आधुनिक गोशालाएं बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए राज्य सरकार भी भरपूर मदद देगी।”उन्होंने कहा कि जैविक खेती की ओर लौटना ही हमारी संस्कृति और प्रकृति के साथ सच्चा सामंजस्य है। “हमने देखा है कि रासायनिक खादों से नुकसान हो रहा है, लेकिन जब हम गौमूत्र और गोबर से बनी जैविक खाद का प्रयोग करते हैं, तो जमीन भी उर्वर बनती है और अन्न भी पौष्टिक।”

 

 

 

 

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