शराबबंदी के बाद बढ़ गई मानसिक रोगियों की संख्या, 40 से अधिक पहुंच रहे चरक अस्पताल

हाथों में कंपन और याददाश्त कम होने की शिकायत, मनोरोग विशेषज्ञ नहीं
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जयिनी में शासन द्वारा नगर निगम सीमा क्षेत्र में शराब विक्रय पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस कारण चरक अस्पताल के मनोरोग विभाग में मानसिक रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो गई है। वर्तमान में 40 से अधिक दिमागी मरीज प्रतिदिन अस्पताल में उपचार के लिए आ रहे हैं। खास बात यह कि मनोरोग के दो डॉक्टर तो पदस्थ हैं लेकिन विशेषज्ञ नहीं हैं।
ऐसे बढ़े रोगी
शहर में शराब विक्रय प्रतिबंध होने के बाद जो लोग पूर्व में आसानी से दुकान पर पहुंचकर शराब खरीद लेते थे उन्हें अब शहर सीमा से बाहर जाकर शराब खरीदना पड़ रही है। इस कारण नियमित और अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करने वाले वह लोग जो शहर से बाहर जाकर शराब नहीं खरीद सकते उनकी मानसिक स्थिति बिगडऩे लगी है। चरक अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ. नीतराज गौर बताते हैं कि नशे की लत पूरी नहीं होने पर नशे के आदी लोगों के हाथ कांपने लगते हैं, यादाश्त कम होती है, शरीर तुरंत एक्टिवेट नहीं होता, चिड़चिड़ा पन बना रहता है। वर्तमान में मनोरोग ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ी है। मरीज बताते हैं कि पहले मनमर्जी से शराब पीते थे। अब शहर से दूर जाकर सीमित मात्रा में शराब लाते हैं इस कारण बॉडी की जरूरत पूरी नहीं हो पाती।
क्या कहते हैं शराब के आदी
शहर में शराब बंदी के बाद मानसिक बीमारियों के रोगियों की संख्या बढऩे के साथ ही ऐसे रोगी चरक अस्पताल में उपचार के लिए बड़ी संख्या में पहुंचने लगे हैं अक्षर विश्व ने ऐसे रोगियों से असली नाम, पता न छापने की शर्त पर चर्चा की
मैं दौलतगंज में हम्माली करता हूं। मेहनत का काम है। सुबह से शराब पीना जरूरी होता है ताकि दिन भर नशे में काम कर सकूं और थकान भी महसूस न हो। पहले इंदौरगेट की शराब दुकान से आसानी से शराब खरीदकर ले आता था। अब शहर से बाहर जाना पड़ता है। वहां से भी सीमित मात्रा में ही शराब ला सकते हैं। ऐसे में जरूरत के हिसाब से शराब नहीं पी रहा तो शरीर में बदलाव शुरू हो गए। अब दिन भर सिर भारी रहता है, हाथ पैर कांपते हैं और काम करने का मन नहीं करता।
गांधी नगर निवासी घनश्याम कोरी (काल्पनिक नाम)
मैं नल फिटिंग का काम करता हूं। वर्षों से शराब पीने की आदत है। सुबह से लेकर रात तक 4 से 5 क्वाटर शराब पी लेता था, लेकिन एक साथ न खरीदकर नशा कम होते ही दुकान से खरीदता था। अब शराब दुकान शहर में बंद हो गई है। साइट पर काम करने जाता हूं, वहां से शराब दुकान की दूरी देखना पड़ती है। दिन भर के लिए एक साथ शराब खरीदकर नहीं ला सकता इस कारण मजबूरी में खुराक कम होती जा रही है। मेरी बॉडी शराब की आदी हो चुकी है। दिन भर तो काम चल जाता है, लेकिन रात में शराब न मिले तो नींद नहीं आती न भूख लगती है। दिमागी हालत भी खराब हो जाती है। इस कारण उपचार कराने आया हूं।
नृसिंहघाट कॉलोनी निवासी मनोहर गौर(काल्पनिक नाम)
गर्मी के साथ बढ़े आत्महत्या के केस
गर्मी के मौसम में मानसिक रोगियों की परेशानियां अधिक बढ़ जाती हैं। ऐसे लोगों में घबराहट, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक गुस्सा आना, विवाद करने के लक्षण दिखाई देते हैं, लोग उत्तेजित होकर आत्महत्या जैसा कदम भी उठाते हैं। पिछले 15 दिनों में उज्जैन जिले में 20 से अधिक लोगों ने जहर खाकर, फांसी लगाकर आत्महत्या की, जबकि चरक अस्पताल की ओपीडी में 200 के करीब नए मानसिक रोगी उपचार के लिए पहुंचे।
काउंसंलिग, दवा देकर करते उपचार
चरक अस्पताल के मनोरोग विभाग में डॉ. राकेश मीना, डॉ. नीतराज गौर पदस्थ हैं। डॉ. गौर बताते हैं कि ओपीडी में उपचार कराने आने वाले मरीजों की काउंसलिंग की जाती है। अवसाद, गमी, क्रोध अधिक आना जैसी बीमारियां मरीज बताते हैं जिन्हें डॉक्टर लगातार चर्चा कर समझाते हैं। साथ ही दिमागी रेस्ट करने की सलाह देकर दवाओं से भी उपचार किया जाता है।